Zakir Hussain: फेफड़ों की गंभीर बीमारी से हुई महान तबला वादक की मौत, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

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Zakir Hussain: Great tabla player died due to serious lung disease, know the symptoms and prevention measures : भारत के महान तबला वादक और पद्म विभूषण सम्मानित जाकिर हुसैन का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis) नामक गंभीर फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। इस दुखद खबर ने दुनियाभर में उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय ताकि समय रहते इसके जोखिम को पहचाना जा सके।

Zakir Hussain: Great tabla player died

Zakir Hussain: Great tabla player died

प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन पिछले कई वर्षों से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) से जूझ रहे थे। उनकी बिगड़ती तबीयत के चलते उन्हें अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया। सोमवार को फेफड़ों की जटिलताओं के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें समय के साथ फेफड़ों में स्कार टिशू (फाइब्रोसिस) बनने लगता है। इस वजह से शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति मुश्किल हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ती जाती है।


इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस क्या है?

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) इंटरस्टिशियल लंग डिजीज का एक प्रकार है। इसमें फेफड़ों के ऊतक धीरे-धीरे मोटे और कठोर हो जाते हैं। जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और सांस लेने में परेशानी होती है।

यह बीमारी मुख्यतः 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में पाई जाती है। हालांकि, इसका कारण स्पष्ट नहीं है, इसलिए इसे “इडियोपैथिक” कहा जाता है।

मुख्य लक्षण:

  1. लंबे समय तक सूखी खांसी – कई हफ्तों तक खांसी बने रहना इस बीमारी का प्रमुख संकेत है।
  2. सांस फूलना – हल्की गतिविधि करने पर भी सांस फूलने की शिकायत होती है। गंभीर स्थिति में आराम के दौरान भी सांस लेना मुश्किल हो सकता है।
  3. थकान और कमजोरी – शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना।
  4. वजन में गिरावट – बिना किसी कारण के शरीर का वजन कम होना।
  5. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द – शरीर में लगातार दर्द बना रहना।

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बीमारी के कारण: क्यों होती है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, IPF का स्पष्ट कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है। हालांकि, कुछ जोखिम कारक इस बीमारी के विकास में भूमिका निभाते हैं:

  1. आनुवांशिक कारण – जिन लोगों के परिवार में फेफड़ों की बीमारी का इतिहास रहा है, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है।
  2. धूम्रपान – लंबे समय तक सिगरेट पीने से फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
  3. वायु प्रदूषण – लगातार प्रदूषित वातावरण में रहने से फेफड़ों में जलन हो सकती है।
  4. वायरल संक्रमण – कुछ वायरल संक्रमण भी फेफड़ों की क्षति का कारण बन सकते हैं।
  5. रसायनों के संपर्क में आना – निर्माण कार्य, खेती और कारखानों में काम करने वाले लोग अधिक जोखिम में रहते हैं।

इस बीमारी के जोखिम से कैसे बचा जा सकता है?

फेफड़ों की गंभीर बीमारियों, खासकर इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. धूम्रपान से दूरी बनाएं

धूम्रपान फेफड़ों की बीमारियों का प्रमुख कारण है। धूम्रपान न करने के अलावा सेकेंड हैंड स्मोकिंग (दूसरों के धूम्रपान का धुआं) से भी बचना जरूरी है।

2. वायु प्रदूषण से बचाव

घर और कार्यस्थल पर स्वच्छ हवा सुनिश्चित करें। मास्क का इस्तेमाल करें और रसायनों या धुएं वाले स्थानों पर जाने से बचें।

3. नियमित व्यायाम करें

शरीर को सक्रिय रखने के लिए रोजाना वॉकिंग, साइकिलिंग या योग करें। यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करता है।

4. हेल्दी डाइट अपनाएं

खान-पान में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स शामिल करें, जैसे कि हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 युक्त आहार। यह फेफड़ों की सेहत को बेहतर बनाता है।

5. टीकाकरण करवाएं

सर्दी-जुकाम और श्वसन संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर फ्लू वैक्सीन और निमोनिया वैक्सीन लगवाएं।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना बेहद जरूरी है।


निष्कर्ष: फेफड़ों की सेहत पर ध्यान दें

महान तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी गंभीर बीमारी के कारण हुआ। यह एक चेतावनी है कि फेफड़ों की बीमारी के लक्षणों को हल्के में न लें। समय पर लक्षणों की पहचान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है। फेफड़ों की सेहत के लिए सतर्क रहें और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह को प्राथमिकता दें।

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