MahaKumbh 2025: Political bitterness drowned in Sangam, historic crowd of devotees gathered : महाकुंभ 2025 में आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ सियासी कड़वाहट भी संगम की त्रिवेणी में विलीन होती दिखी। इस महापर्व में सत्ता और विपक्ष के तमाम नेता संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के साथ अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। हालाँकि, जाम की वजह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह स्नान नहीं कर सके और उन्हें लौटना पड़ा।
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सियासी विभाजन के बीच आस्था की डुबकी
महाकुंभ 2025 के अवसर पर देशभर से श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है। वहीं, राजनीतिक गलियारे से भी बड़ी संख्या में नेता संगम में पुण्य अर्जित करने पहुँचे। सत्ताधारी दल के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेता भी इस आध्यात्मिक महासंगम का हिस्सा बने। त्रिवेणी के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कर्नाटक के डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार अपनी पत्नी उषा शिवकुमार के साथ पहुंचे। इनके अलावा, उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय भी अपनी श्रद्धा को रोक नहीं सके और संगम में स्नान किया।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी संगम में स्नान करने की इच्छा रखते थे, लेकिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते उन्हें बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
आस्था के आगे प्रशासन के अनुमान भी पड़े छोटे
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महाकुंभ में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के आगे प्रशासन के अनुमान भी छोटे साबित हो रहे हैं। श्रद्धालुओं का अपार जनसमूह लगातार संगम की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। मंगलवार को ही सवा करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई, जिससे महाकुंभ में अब तक स्नान करने वालों की संख्या 46 करोड़ के पार पहुँच गई।
स्नान के लिए उमड़ रही ऐतिहासिक भीड़ को देखकर ऐसा लग रहा है मानो पूरा देश संगम की ओर चल पड़ा हो। शनिवार से ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही थी, जो मंगलवार तक भी जारी रही। सभी प्रमुख मार्गों पर लोगों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
भीड़ ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड
महाकुंभ में मंगलवार को हुए स्नान में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। शाम 8 बजे तक 1.34 करोड़ से अधिक लोग संगम में डुबकी लगा चुके थे और यह सिलसिला रात तक जारी रहा। सोमवार तक 44.74 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके थे और मंगलवार को यह संख्या 46 करोड़ के पार पहुँच गई।
यह आँकड़ा बताता है कि संगम में स्नान के लिए लोगों का उत्साह इस बार ऐतिहासिक ऊँचाइयों को छू रहा है। घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस कदर थी कि हर कोई पुण्य लाभ लेने के लिए उत्सुक दिख रहा था।
हर घाट पर बनी रही श्रद्धालुओं की भीड़
महाकुंभ के मुख्य स्नान घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होनी शुरू हो गई थी। संगम क्षेत्र में काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, नागवासुकी घाट, बांध मार्ग समेत अन्य प्रमुख मार्गों पर दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मेला क्षेत्र के लगभग सभी प्रमुख घाटों पर लगातार स्नानार्थियों का दबाव बना रहा, जिससे प्रशासन को भीड़ नियंत्रण करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।
संगम और ऐरावत घाट पर सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। दिनभर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं और यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। प्रशासन की ओर से किए गए सुरक्षा इंतजामों के बावजूद, भारी भीड़ के कारण कहीं-कहीं अव्यवस्था भी देखने को मिली।
श्रद्धालुओं की आस्था और प्रशासन की चुनौतियाँ
महाकुंभ जैसे विराट आयोजन में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते प्रशासन के लिए व्यवस्था बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो रहा है। लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व्यापक सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
इस बार संगम क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ के कारण कई लोगों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ा। दिग्विजय सिंह सहित कई अन्य प्रमुख लोग ट्रैफिक जाम की वजह से संगम तक नहीं पहुँच सके। हालाँकि, प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है।
पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के बावजूद, जनसमूह का प्रवाह इतना अधिक है कि व्यवस्था संभालना चुनौतीपूर्ण हो गया है। खासकर प्रमुख स्नान के दिनों में लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है।
महाकुंभ 2025: अद्भुत आध्यात्मिक संगम
महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक विरासत का जीवंत प्रमाण है। देशभर से लाखों श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन में भाग लेकर आत्मिक शांति और पुण्य अर्जित करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर समुदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के यहाँ आकर संगम में स्नान कर रहे हैं।
निष्कर्ष: संगम की पवित्रता में विलीन सियासत
महाकुंभ 2025 में आस्था के इस महासंगम में सियासी कड़वाहट भी मिटती नजर आई। भाजपा और अन्य दलों के नेताओं ने संगम में एक साथ आस्था की डुबकी लगाई, जिससे यह संदेश मिला कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराएँ राजनीतिक मतभेदों से ऊपर हैं।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का जोश, स्नान के प्रति उमड़ती आस्था और व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन की चुनौतियाँ इस बार के आयोजन को ऐतिहासिक बना रही हैं। अब तक 46 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान कर लिया है और आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।
इस प्रकार, महाकुंभ 2025 एक बार फिर साबित कर रहा है कि भारतीय आस्था और संस्कृति की शक्ति असीमित है, जो संपूर्ण विश्व को जोड़ने का सामर्थ्य रखती है।