डिजिटल अरेस्ट: 11.8 करोड़ रुपये की ठगी का खुलासा, तीन आरोपी गिरफ्तार

Digital Arrest: Fraud of Rs 11.8 crore exposed
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Digital Arrest: Fraud of Rs 11.8 crore exposed, three accused arrested : डिजिटल दुनिया में बढ़ती ठगी के मामले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। नवंबर 2024 में, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम के जरिए 11.8 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और डिजिटल ठगी से बचने के उपाय।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम का खुलासा

पुलिस के अनुसार, ठगों ने पीड़ित के आधार कार्ड का दुरुपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक खाते खोले। इस धोखाधड़ी को 25 नवंबर से 12 दिसंबर 2024 के बीच अंजाम दिया गया। पीड़ित ने शिकायत में बताया कि 11 नवंबर को उन्हें एक अज्ञात कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि पीड़ित के आधार कार्ड से जुड़े सिम कार्ड का उपयोग अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है।

ठगी की शुरुआत

पहले कॉल के बाद, एक अन्य व्यक्ति ने पीड़ित से संपर्क किया और खुद को पुलिस अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि पीड़ित के आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक खातों को खोलने में किया गया है। ठगों ने पीड़ित को डराने के लिए यह भी कहा कि यदि वह जांच में सहयोग नहीं करेंगे, तो उन्हें शारीरिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

डर का फायदा उठाकर ठगी

आरोपियों ने पीड़ित को मामले को गोपनीय रखने का निर्देश दिया। उन्होंने पीड़ित को यह विश्वास दिलाया कि वर्चुअल जांच में सहयोग करना ही उनकी समस्या का समाधान है। इस डर के कारण, पीड़ित ने 11.8 करोड़ रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। जब ठगों ने और पैसे की मांग की, तब पीड़ित को समझ आया कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं।

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अहमदाबाद और महाराष्ट्र के ठाणे जिले के उल्हासनगर में छापेमारी की। इस दौरान उन्होंने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया:

  • धवल भाई शाह (34) – अहमदाबाद से गिरफ्तार।
  • तरुण नटानी (24) और
  • करण शामदासानी (28) – उल्हासनगर से गिरफ्तार।

इनके बैंक खातों से 3.7 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। पुलिस का मानना है कि इस गिरोह का सरगना दुबई में हो सकता है, जो वहीं से इस पूरे ऑपरेशन को संचालित करता था।

कैसे काम करता है यह स्कैम?

इस स्कैम के तहत ठग निम्नलिखित तरीके अपनाते हैं:

  1. डर का माहौल बनाना: ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित को अवैध गतिविधियों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाते हैं।
  2. मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाना: पीड़ित को यह भरोसा दिलाया जाता है कि उनका आधार कार्ड या बैंक खाते का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है।
  3. गोपनीयता बनाए रखने का दबाव: आरोपियों ने पीड़ित को मामले की जानकारी किसी से साझा न करने की धमकी दी।
  4. वर्चुअल जांच का झांसा: ठग यह कहते हैं कि जांच में सहयोग न करने पर पीड़ित को गिरफ्तार किया जा सकता है।

ठगी से बचने के उपाय

  1. सरकारी कॉल की सत्यता जांचें: सरकारी एजेंसियां फोन कॉल के जरिए किसी मामले की जानकारी नहीं देतीं।
  2. संवेदनशील जानकारी साझा न करें: आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स और अन्य व्यक्तिगत जानकारी अज्ञात व्यक्तियों को न दें।
  3. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में सतर्कता बरतें: किसी भी संदिग्ध खाते में पैसे ट्रांसफर करने से पहले जांच करें।
  4. पुलिस को जानकारी दें: ऐसे कॉल मिलने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।

डिजिटल सुरक्षा का महत्व

डिजिटल युग में, ठग नए-नए तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और डिजिटल सुरक्षा उपाय अपनाएं।

  • साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायत दर्ज करने के लिए राष्ट्रीय पोर्टल का उपयोग करें।
  • मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन: अपने ऑनलाइन खातों को सुरक्षित रखने के लिए इस फीचर का इस्तेमाल करें।
  • संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें: अनजान लिंक पर क्लिक करने या संदिग्ध ईमेल का जवाब देने से बचें।

निष्कर्ष

‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम ने यह साबित कर दिया है कि ठगों के लिए डिजिटल माध्यम एक बड़ा हथियार बन गया है। इस मामले में पुलिस की सक्रियता से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन मुख्य सरगना अभी भी फरार है। जनता को सतर्क रहने और साइबर अपराधों की जानकारी रखने की आवश्यकता है। जागरूकता ही ऐसी ठगी से बचने का सबसे बड़ा उपाय है।

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