सनी देओल की ‘गदर’ पर शबाना आजमी की आपत्ति और सनी का करारा जवाब
Shabana Azmi’s friendship and Sunny’s befitting reply to Sunny’s friend’s ‘gadar’ : फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ का नाम भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में शुमार है। यह फिल्म साल 2001 में रिलीज हुई थी, जिसमें सनी देओल और अमीषा पटेल ने मुख्य किरदार निभाया था। इस फिल्म की कहानी हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित थी, जिसमें तारा सिंह (सनी देओल) और सकीना (अमीषा पटेल) की प्रेम कहानी दिखाई गई है। फिल्म का निर्देशन अनिल शर्मा ने किया था और इसका निर्माण नितिन केनी ने किया था।
‘गदर’ की जबरदस्त सफलता और विवाद
फिल्म ‘गदर’ भारतीय दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुई और एक बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई। तारा सिंह और सकीना की प्रेम कहानी ने दर्शकों के दिलों को छू लिया था। फिल्म की कहानी, एक्शन और सनी देओल के दमदार डायलॉग्स ने इसे एक यादगार फिल्म बना दिया।
हालांकि, जिस तरह से फिल्म में विभाजन के समय हिंदू-मुस्लिम संबंधों को चित्रित किया गया था, उसने इसे विवादों के घेरे में भी ला दिया। फिल्म में एक सिख व्यक्ति (तारा सिंह) को एक मुस्लिम महिला (सकीना) से प्यार करते हुए दिखाया गया है। कुछ लोगों का मानना था कि इस फिल्म में मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप से दिखाया गया है, जबकि हिंदू समुदाय को पीड़ित के रूप में चित्रित किया गया है। इस मुद्दे को लेकर कई आलोचनाएँ भी सामने आईं।
शबाना आजमी ने ‘गदर’ को बताया भड़काऊ
इन्हीं आलोचनाओं के बीच, मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी ने भी फिल्म ‘गदर’ पर आपत्ति जताई थी। साल 2001 में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने फिल्म को “भड़काऊ” बताया था। शबाना ने कहा था, “मेरा मानना है कि गदर एक भड़काऊ फिल्म है। मैं इसकी संवेदनशीलता से सहमत नहीं हूं। फिल्म में हिंदुओं को पीड़ित और मुसलमानों को खलनायक के रूप में दिखाया गया है।” इसके साथ ही उन्होंने फिल्म की रिलीज की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया था, क्योंकि उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने की कोशिशें चल रही थीं।
सनी देओल का कड़ा जवाब
शबाना आजमी के इस बयान के बाद, सनी देओल ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि ऐसे बयान देकर लोग सिर्फ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। सनी ने कहा था, “फिल्मों के बारे में इस तरह की बातें कहना सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट होता है। किसी को भी बिना समझे-समझाए इस तरह के भड़काऊ बयान नहीं देने चाहिए।”
सनी देओल का यह बयान स्पष्ट रूप से फिल्म और उसकी कहानी के प्रति उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ‘गदर’ एक प्रेम कहानी थी जो विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित थी और इसका उद्देश्य किसी समुदाय को बदनाम करना नहीं था।
गदर 2: पुरानी कहानी की नई शुरुआत
साल 2023 में ‘गदर’ का सीक्वल ‘गदर 2’ रिलीज हुआ, जिसने एक बार फिर बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। सनी देओल और अमीषा पटेल ने अपने पुराने किरदारों में वापसी की और फिल्म को दर्शकों से बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली। फिल्म का निर्देशन एक बार फिर अनिल शर्मा ने किया, और इसमें तारा सिंह की कहानी को आगे बढ़ाते हुए दिखाया गया कि वह अपने बेटे को बचाने के लिए पाकिस्तान जाता है।
‘गदर 2’ की रिलीज के साथ ही पुराने विवाद और आलोचनाएँ भी फिर से उठीं, लेकिन इस बार फिल्म को अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। दर्शकों ने इसे एक भावनात्मक और मनोर
ंजक फिल्म के रूप में देखा, जिसमें देशभक्ति और परिवार की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ थीं।
‘गदर’ के विरुद्ध आलोचनाओं का प्रभाव
हालाँकि, यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘गदर’ पर आई आलोचनाओं ने इसकी लोकप्रियता पर कोई खास प्रभाव नहीं डाला। फिल्म ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी और सनी देओल का ‘हैंड पंप’ वाला दृश्य आज भी एक प्रतिष्ठित फिल्म दृश्य के रूप में याद किया जाता है। यह फिल्म दर्शकों के दिलों में एक स्थायी स्थान बनाने में सफल रही, भले ही कुछ आलोचक इसके खिलाफ थे।
शबाना आजमी जैसी व्यक्तित्व द्वारा उठाए गए सवालों के बावजूद, फिल्म का मुख्य उद्देश्य विभाजन के दौरान एक प्रेम कहानी को दर्शाना था, न कि किसी समुदाय को नुकसान पहुँचाना। सनी देओल और पूरी टीम का मानना था कि यह फिल्म केवल एक काल्पनिक कथा है, जो ऐतिहासिक घटनाओं के बीच प्रेम और त्याग की कहानी को उजागर करती है।
निष्कर्ष
‘गदर: एक प्रेम कथा’ ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता पाई, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी एक खास जगह बनाई। हालांकि, इसने विवादों का सामना किया, लेकिन फिल्म की लोकप्रियता और सनी देओल की मजबूत प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन है और इसका उद्देश्य किसी भी समुदाय या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं होता।
साल 2023 में ‘गदर 2’ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि एक अच्छी कहानी और सशक्त अभिनय समय के साथ और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।