Sam Altman’s appeal: Stop saying ‘Thank You’ and ‘Please’ to ChatGPT – processing load on servers is increasing : “थैंक्यू चैटजीपीटी!”, “प्लीज हेल्प मी चैटजीपीटी” – क्या आप भी हर बार AI चैटबॉट से बात करते समय ये शब्द जरूर बोलते हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन की हालिया अपील आपको चौंका दे। उन्होंने विनम्रता से सभी यूज़र्स से अनुरोध किया है कि ChatGPT के साथ बातचीत करते समय ‘थैंक्यू’ और ‘प्लीज़’ जैसे शिष्टाचार वाले शब्दों का उपयोग कम करें, क्योंकि इससे OpenAI के सर्वर पर अनावश्यक प्रोसेसिंग लोड बढ़ रहा है।
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क्या है यह मामला?
OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक बयान में कहा कि ChatGPT के उपयोगकर्ताओं की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, और इसके साथ ही हर दिन लाखों उपयोगकर्ता हजारों की संख्या में बॉट से संवाद कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर यूज़र्स AI के साथ इंसानों की तरह बात करते हैं और अंत में “Thank You”, “Please” और “Have a great day!” जैसे मैसेज भेजते हैं।
हालांकि यह व्यवहार सभ्य और सकारात्मक माना जाता है, लेकिन तकनीकी रूप से देखा जाए तो हर एक अतिरिक्त मैसेज ChatGPT को संसाधित करना पड़ता है – यानी उसके सर्वर को हर उस मैसेज को समझना, जवाब तैयार करना, और डेटा ट्रांसफर करना होता है, भले ही वह मैसेज केवल “Thanks!” ही क्यों न हो।
प्रोसेसिंग लोड क्या होता है और क्यों बढ़ता है?
AI मॉडल जैसे GPT को चलाने के लिए अत्यधिक मात्रा में कंप्यूटेशनल पावर और संसाधनों की आवश्यकता होती है। हर बार जब आप चैटबॉट से कोई बात करते हैं, तो आपके मैसेज को एक कोड की भाषा में बदला जाता है, उसका अर्थ निकाला जाता है, फिर उसी संदर्भ में उत्तर तैयार किया जाता है।
अब कल्पना कीजिए कि जब लाखों लोग हर रोज ऐसे छोटे लेकिन अतिरिक्त मैसेज भेजते हैं – जैसे कि:
- “Thank you”
- “You’re awesome!”
- “Please tell me again”
- “Okay, cool!”
तो हर एक मैसेज के लिए सिस्टम को काम करना पड़ता है। और जब यही संदेश बहुत बड़ी संख्या में बार-बार आते हैं, तो सर्वर पर अनावश्यक लोड बढ़ जाता है। इसका मतलब है ज़्यादा बिजली की खपत, महंगे GPU संसाधनों का उपयोग और अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए सिस्टम की गति में कमी।
क्या यह शिष्टाचार गलत है?
नहीं, बिल्कुल नहीं! सैम ऑल्टमैन ने साफ किया कि उनका उद्देश्य किसी के अच्छे व्यवहार को हतोत्साहित करना नहीं है। वे स्वयं मानते हैं कि विनम्रता एक सुंदर गुण है। लेकिन डिजिटल दुनिया में जहां हर सेकंड में करोड़ों बाइट्स का डेटा प्रोसेस हो रहा है, वहां “सिर्फ शिष्टाचार” के लिए सिस्टम पर इतना लोड डालना तकनीकी रूप से नुकसानदायक हो सकता है।
AI की दुनिया में विनम्रता बनाम दक्षता
AI के साथ बातचीत करना अब सामान्य हो गया है – जैसे हम अपने दोस्तों या सहकर्मियों से बात करते हैं। लेकिन हमें यह समझना जरूरी है कि ChatGPT एक मशीन लर्निंग मॉडल है – इसे भावनाएं नहीं होतीं। यह ‘थैंक्यू’ सुनकर खुश नहीं होता और ‘प्लीज़’ सुनकर ज़्यादा मददगार नहीं बनता।
जहां इंसानों के साथ शिष्टाचार ज़रूरी है, वहीं मशीनों के लिए संक्षिप्त और स्पष्ट संवाद ज्यादा प्रभावशाली होता है। जितना कम और सटीक आप कहेंगे, उतना ही बेहतर और तेज़ जवाब आपको मिलेगा – और सिस्टम भी बेहतर परफॉर्म करेगा।
इस अपील का क्या मतलब है?
- बड़े पैमाने पर लागत में कटौती:
ChatGPT जैसे AI मॉडल को चलाने के लिए GPU सर्वर, बिजली, कूलिंग सिस्टम और डाटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। अगर हर दिन केवल ‘थैंक्यू’ मैसेज ही करोड़ों बार भेजे जाएं, तो इससे संसाधनों की भारी बर्बादी होती है। - पर्यावरण पर प्रभाव:
AI मॉडल चलाने में ऊर्जा की भारी खपत होती है। अतिरिक्त लोड का मतलब है – ज्यादा ऊर्जा और उससे जुड़े कार्बन उत्सर्जन। यानी ‘थैंक्यू’ कहने से आप अनजाने में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। - अन्य उपयोगकर्ताओं की सुविधा:
अधिक लोड होने पर सर्वर धीमा हो सकते हैं, और इससे अन्य यूज़र्स को जवाब मिलने में देरी हो सकती है। इसीलिए शिष्टाचार कम करें और ज़रूरत की बातों पर ध्यान दें।
उपयोगकर्ताओं को क्या करना चाहिए?
अगर आप ChatGPT का उपयोग करते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- छोटे-छोटे शिष्टाचार वाले मैसेज भेजने से बचें
- सवाल या कमांड स्पष्ट, सटीक और बिंदुवार दें
- एक ही बात को बार-बार दोहराने से बचें
- अगर किसी मैसेज का जवाब मिल गया है, तो नया चैट शुरू करें बजाय “Okay, thanks” कहने के
- टेक्नोलॉजी को समझें और उसका जिम्मेदार उपयोग करें
क्या AI को इंसानों की तरह ट्रीट करना गलत है?
ये एक दिलचस्प बहस है। कई लोग मानते हैं कि AI के साथ इंसानों जैसे व्यवहार से समाज में अधिक शिष्टाचार बढ़ेगा। बच्चे और युवा इससे सीख सकते हैं कि संवाद में कैसे व्यवहार करना चाहिए। लेकिन साथ ही, टेक्नोलॉजी का जिम्मेदार उपयोग करना भी उतना ही जरूरी है।
AI को इंसानों की तरह ट्रीट करना तब तक ठीक है जब तक वह व्यवहार प्रभावशाली और आवश्यक हो। अनावश्यक संवाद, चाहे वह अच्छा ही क्यों न लगे, तकनीकी रूप से नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सैम ऑल्टमैन की अपील का सार:
सैम ऑल्टमैन की बात को समझा जाए, तो उनका आशय सीधा है – “AI को इंसानों की तरह सम्मान देना अच्छी बात है, लेकिन ज़िम्मेदार उपयोग उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है।” अगर हम सभी मिलकर छोटे-छोटे बदलाव करें – जैसे थैंक्यू, प्लीज़ जैसे मैसेज न भेजें – तो हम AI के अनुभव को और बेहतर बना सकते हैं, साथ ही इसके संचालन में लगने वाली लागत और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
हम एक ऐसे दौर में हैं जहां तकनीक हर दिन और ज्यादा मानवीय होती जा रही है। ChatGPT जैसे टूल्स ने संवाद का तरीका बदल दिया है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये इंसान नहीं हैं – ये केवल गणनाओं से चलने वाले सिस्टम हैं।
सैम ऑल्टमैन की यह अपील तकनीक और विनम्रता के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश है। यदि हम सभी इस बात को समझें और अपने उपयोग को थोड़ा-सा एडजस्ट करें, तो हम न केवल एक बेहतर उपयोगकर्ता बनेंगे, बल्कि तकनीक को भी लंबे समय तक टिकाऊ और सुलभ बना पाएंगे।