Salman Khan's film 'Veer

सलमान खान की फिल्म ‘वीर’: क्यों बॉक्स ऑफिस पर नहीं कर पाई धमाल? अनिल शर्मा का खुलासा

Salman Khan’s film ‘Veer’: Why couldn’t it do well at the box office? Anil Sharma’s disclosure : साल 2010 में सलमान खान की महत्वाकांक्षी फिल्म ‘वीर’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन अनिल शर्मा ने किया था, जो ‘गदर’ जैसी सफल फिल्मों के लिए मशहूर हैं। सलमान खान ने इस फिल्म में सिर्फ अभिनय ही नहीं किया बल्कि इसकी कहानी भी खुद लिखी। शानदार कास्टिंग, बड़े बजट, और भव्य सेट्स के बावजूद ‘वीर’ दर्शकों को अपनी तरफ खींचने में नाकामयाब रही और बॉक्स ऑफिस पर औसत प्रदर्शन कर पाई। हाल ही में निर्देशक अनिल शर्मा ने इस फिल्म की असफलता के कारणों पर चर्चा की है। उन्होंने फिल्म के क्लाइमैक्स और सलमान की स्क्रिप्टिंग चॉइस को इसका बड़ा कारण बताया।

सलमान खान की ‘वीर’ के पीछे उनकी खास मेहनत

सलमान खान ने ‘वीर’ के निर्माण में अपनी दिलचस्पी दिखाई थी और उन्होंने इसकी कहानी को खुद लिखा था। फिल्म एक योद्धा की कहानी थी जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करता है। फिल्म में भारत के आजादी से पहले के काल को दिखाया गया था। शानदार कास्टिंग, जैसे कि सलमान खान, जैकी श्रॉफ, सोहेल खान, और मिथुन चक्रवर्ती, ने फिल्म को एक बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म बनाया। इसके अलावा, फिल्म के लुक और सलमान खान का योद्धा अवतार भी काफी आकर्षक था। फिल्म के सेट और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन में काफी पैसा लगाया गया, जिससे फिल्म को भव्यता का रूप मिला।

फिल्म का क्लाइमैक्स क्यों नहीं हुआ सफल?

निर्देशक अनिल शर्मा का कहना है कि ‘वीर’ की असफलता का सबसे बड़ा कारण इसका क्लाइमैक्स था। इस क्लाइमैक्स में एक पिता-पुत्र के बीच संघर्ष को दर्शाया गया था, जो दर्शकों को भाया नहीं। फिल्म में सलमान खान के किरदार और उनके पिता के बीच युद्ध का दृश्य था, जो फिल्म की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा था। अनिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने कई बार इस क्लाइमैक्स को बदलने की कोशिश की और सलमान को इसके अन्य विकल्प सुझाए। लेकिन, सलमान खान ने अपने दृष्टिकोण को बरकरार रखा और क्लाइमैक्स को वैसा ही रखा जैसा उनकी मूल स्क्रिप्ट में था।

दर्शकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया और भावनाओं का अभाव

फिल्म का यह क्लाइमैक्स दर्शकों के दिल को छू नहीं पाया। अनिल शर्मा के मुताबिक, भारतीय दर्शक अपने परिवारिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील होते हैं। पिता और पुत्र के बीच टकराव की कहानी भारतीय दर्शकों को अजीब लगी और भावनात्मक रूप से जुड़ने में असमर्थ रही। अनिल शर्मा ने यह भी बताया कि उन्होंने इस क्लाइमैक्स को सही ठहराने के लिए रामायण का संदर्भ दिया, लेकिन फिर भी कहानी का ये हिस्सा तर्कसंगत नहीं लग सका और दर्शकों ने इसे नकार दिया।

सलीम खान की प्रतिक्रिया और सलाह

अनिल शर्मा ने बताया कि फिल्म के निर्माण के दौरान कई बार सलीम खान से भी बात हुई। सलीम साहब भी क्लाइमैक्स को लेकर कुछ हद तक असमंजस में थे। उनके अनुसार, यह क्लाइमैक्स दर्शकों के तर्कों पर खरा नहीं उतरता। उन्होंने फिल्म की असफलता के लिए इस क्लाइमैक्स को मुख्य वजह बताया। सलमान खान ने अपने दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी और फिल्म का अंत वैसा ही रहा। यह अंत शायद सलमान के निजी विचारों का प्रतीक था, लेकिन दर्शकों के लिए इसे पचा पाना मुश्किल साबित हुआ।

फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और नुकसान

बॉक्स ऑफिस पर ‘वीर’ का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। सैकनिल्क की रिपोर्ट के अनुसार, इस फिल्म का बजट करीब 55 करोड़ रुपये था, जबकि इसका नेट कलेक्शन मात्र 45.56 करोड़ रुपये के आस-पास रहा। यह आंकड़ा दर्शाता है कि फिल्म ने अपने बजट को कवर नहीं किया और आर्थिक तौर पर नुकसान का सामना करना पड़ा। निर्देशक अनिल शर्मा के अनुसार, फिल्म के आखिरी के 15-20 मिनट को कम किया जा सकता था ताकि दर्शक इससे बेहतर तरीके से जुड़ सकें।

अनिल शर्मा का निष्कर्ष और फिल्म से सीखे सबक

अनिल शर्मा ने अपनी बात को संक्षेप में यह कहकर समाप्त किया कि फिल्म ‘वीर’ की असफलता से उन्हें एक महत्वपूर्ण सबक मिला। उन्होंने कहा कि दर्शकों की भावनाओं और उनके परंपरागत मूल्यों का सम्मान करना जरूरी है। ‘वीर’ की असफलता ने यह स्पष्ट किया कि बड़े बजट, भव्य सेट और शानदार कास्टिंग के बावजूद, कहानी और उसकी प्रस्तुति में तार्किकता और भावनात्मक जुड़ाव का होना अनिवार्य है।

निष्कर्ष

सलमान खान की फिल्म ‘वीर’ एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी, जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपने अभिनय को पेश किया बल्कि अपनी कहानी को भी दर्शकों के सामने रखा। लेकिन फिल्म का भावनात्मक जुड़ाव न बना पाना, खासकर पिता-पुत्र के संघर्ष वाले क्लाइमैक्स ने इसे दर्शकों से दूर कर दिया। अनिल शर्मा का मानना है कि फिल्म को एक बेहतर अंत के साथ ज्यादा सफल बनाया जा सकता था। ‘वीर’ की असफलता से यह सीख मिलती है कि कहानी का सही प्रस्तुतीकरण दर्शकों के साथ जुड़ाव को मजबूत बनाता है, और यही किसी भी फिल्म की सफलता की कुंजी है।

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