Ravichandran Ashwin: Retirement and the story behind it : भारतीय क्रिकेट टीम के महान स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। 38 वर्षीय इस खिलाड़ी के इस अचानक लिए गए फैसले ने न केवल प्रशंसकों, बल्कि उनके परिवार और क्रिकेट समुदाय को भी चौंका दिया। गाबा टेस्ट के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विन ने अपने इस फैसले की घोषणा की। इस मौके पर भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा भी मौजूद थे।
अश्विन ने भारत के लिए 106 टेस्ट मैच खेले और 537 विकेट लिए। उनका यह रिकॉर्ड उन्हें दुनिया के महानतम स्पिन गेंदबाजों की सूची में शुमार करता है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अचानक उनके संन्यास की घोषणा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच उनके पिता, रविचंद्रन, ने एक बड़ा बयान देकर भारतीय टीम प्रबंधन पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि अश्विन को टीम में लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था, जिससे वह आहत थे।
गाबा टेस्ट के बाद संन्यास का ऐलान
गाबा टेस्ट मैच के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विन ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि यह फैसला पूरी तरह से उनका है। इस दौरान उन्होंने अपने करियर के सफर पर बात की और सभी को धन्यवाद दिया। कप्तान रोहित शर्मा ने भी इस मौके पर अश्विन के योगदान की सराहना की और कहा कि उन्हें अश्विन के फैसले के बारे में पहले से जानकारी थी। उन्होंने यह भी बताया कि अश्विन को एडिलेड डे-नाइट टेस्ट तक अपनी घोषणा रोकने के लिए मनाया गया था।
पिता के चौंकाने वाले बयान
अश्विन के पिता, रविचंद्रन, ने सीएनएन-न्यूज 18 को दिए गए एक खास इंटरव्यू में उनके संन्यास पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “मुझे भी आखिरी मिनट में पता चला। उनके दिमाग में क्या चल रहा था, मुझे नहीं पता। उन्होंने बस घोषणा कर दी और मैंने इसे पूरी खुशी के साथ स्वीकार कर लिया।” हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि टीम में अश्विन को नियमित मौका न मिलना उनके लिए अपमानजनक रहा होगा।
उन्होंने कहा, “अश्विन ने यह फैसला खुद लिया होगा। वह कितने समय तक अपमान सहन कर सकते थे? शायद यह निर्णय उनके दिल से आया होगा।” इस बयान ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है और टीम मैनेजमेंट के फैसलों पर सवाल उठने लगे हैं।
शानदार करियर का अंत
रविचंद्रन अश्विन का करियर भारतीय क्रिकेट के लिए एक प्रेरणा रहा है। उन्होंने 14-15 साल तक क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया। 106 टेस्ट मैचों में 537 विकेट के अलावा, उन्होंने 113 वनडे और 65 टी20 मैचों में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। उनका प्रदर्शन हमेशा से भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका निभाता था।
ऑस्ट्रेलिया दौरे का घटनाक्रम
मौजूदा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन ने सिर्फ एक ही मैच खेला। पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच के लिए उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया, जबकि एडिलेड में खेले गए पिंक बॉल टेस्ट में उन्हें मौका दिया गया, जो उनके करियर का आखिरी मैच साबित हुआ। तीसरे टेस्ट में उनकी जगह रवींद्र जडेजा को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया।
अश्विन के पिता ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि वह खेलना जारी रखेंगे, लेकिन अचानक हुए बदलाव – रिटायरमेंट – ने हमें वाकई चौंका दिया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अश्विन को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था, जो उनके फैसले की वजह हो सकता है।
कप्तान रोहित शर्मा की प्रतिक्रिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहित शर्मा ने खुलासा किया कि उन्हें अश्विन के संन्यास के बारे में तब पता चला जब वह पर्थ पहुंचे थे। रोहित ने बताया, “मैंने अश्विन से कहा था कि वह एडिलेड टेस्ट तक अपने फैसले की घोषणा न करें।” रोहित ने अश्विन के योगदान की सराहना की और उन्हें भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक बताया।
टीम मैनेजमेंट पर उठे सवाल
अश्विन के पिता के बयान के बाद टीम मैनेजमेंट पर सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने इशारों-इशारों में बताया कि शानदार प्रदर्शन और रिकॉर्ड के बावजूद अश्विन को प्लेइंग इलेवन में नियमित जगह नहीं मिलना उनके लिए अपमानजनक था।
प्रशंसकों और परिवार की प्रतिक्रिया
अश्विन के इस फैसले ने उनके प्रशंसकों और परिवार को भावुक कर दिया। उनके पिता ने कहा, “हमने कभी सोचा नहीं था कि वह इस तरह अचानक संन्यास ले लेंगे।” प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर अपने चहेते खिलाड़ी के लिए शुभकामनाएं भेजी और उनके करियर की तारीफ की।
निष्कर्ष
रविचंद्रन अश्विन का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है। उनके जैसा खिलाड़ी न केवल अपने रिकॉर्ड के लिए, बल्कि अपने खेल की समझ और मानसिक मजबूती के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, उनका अचानक लिया गया यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में अश्विन अपनी इस निर्णय के पीछे की असल वजह पर खुलकर बात करते हैं या नहीं।
अश्विन का करियर भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वह आने वाले क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।