NDA को राज्यसभा में बहुमत: 12 में से 11 सीटें निर्विरोध जीती, कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट
NDA gets majority: 11 out of 12 posts unopposed, only one seat on Congress’s target : एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने राज्यसभा में महत्वपूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। हाल ही में नौ राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 11 सीटें निर्विरोध जीत लीं, जबकि कांग्रेस को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव के बाद राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 96 हो गई है, जबकि एनडीए के सांसदों की कुल संख्या 112 हो गई है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार के लिए उच्च सदन में विधेयकों को पारित कराना अब आसान हो जाएगा।
राज्यसभा में भाजपा का बढ़ता दबदबा
इन चुनावों के बाद राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 96 हो गई है, जबकि एनडीए के कुल सांसदों की संख्या 112 तक पहुंच गई है। यह स्थिति केंद्र सरकार के लिए उच्च सदन में विधेयकों को पारित कराने में सहूलियत प्रदान करेगी।
राज्यसभा का गणित: बहुमत का आंकड़ा
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जिनमें से फिलहाल 8 सीटें खाली हैं। इस वजह से वर्तमान में सदस्यों की कुल संख्या 237 रह गई है, और बहुमत का आंकड़ा घटकर 119 हो गया है। एनडीए ने छह मनोनीत और एक स्वतंत्र राज्यसभा सांसद का समर्थन भी प्राप्त कर लिया है, जिससे बहुमत का आंकड़ा छूने में सफलता मिली है। यह जीत केंद्र सरकार को उच्च सदन में विधेयकों को पारित कराने में मददगार साबित होगी।
किसने कहां से जीती सीटें?
इस उपचुनाव में भाजपा के नौ सदस्यों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है।
- महाराष्ट्र से धीर शील पाटिल
- राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू
- हरियाणा से किरण चौधरी
- बिहार से मनन मिश्रा
- असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली
- मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन
- ओडिशा से ममता मोहंता
- त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्य
भाजपा के सहयोगी दलों से उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार से और अजित पवार की पार्टी से नितिन पाटिल ने महाराष्ट्र से चुनाव जीता है। वहीं, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने तेलंगाना से निर्विरोध जीत दर्ज की है।
उपचुनाव का महत्व
यह उपचुनाव भाजपा और उसके सहयोगी दलों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, जिसने राज्यसभा में उनकी ताकत को और बढ़ा दिया है। भाजपा और एनडीए के लिए यह उपचुनाव एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ है, क्योंकि इससे उच्च सदन में उनकी स्थिति को और मजबूती मिली है।
वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए यह चुनाव एक झटका साबित हुआ है, जो उन्हें राज्यसभा में प्रभावशाली भूमिका निभाने से रोक सकता है। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की तेलंगाना से जीत जरूर विपक्ष के लिए एक राहत की बात है, लेकिन यह उच्च सदन में उनकी समग्र स्थिति को मजबूत नहीं कर पाई है।