19 दिन में दिल्ली से 9 गुना अधिक श्रद्धालु, मात्र 6000 मीट्रिक टन कूड़ा
Mahakumbh 2025: Amazing confluence of cleanliness and population management : महाकुंभ 2025 में अब तक 31.46 करोड़ श्रद्धालु गंगा-स्नान कर चुके हैं। इस दौरान प्रयागराज नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, मेला क्षेत्र में मात्र 6000 मीट्रिक टन कूड़ा निकला है।
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प्रयागराज नगर निगम की सफाई व्यवस्था
प्रयागराज नगर निगम के अनुसार, प्रतिदिन मेला क्षेत्र में औसतन 300 मीट्रिक टन और विशेष पर्वों पर 400 मीट्रिक टन कूड़ा उत्पन्न हो रहा है। इस कचरे को घूरपुर स्थित प्लांट में भेजा जा रहा है, जहाँ प्रोसेसिंग के बाद इसे सीमेंट फैक्टरी में भेजा जाता है।
श्रद्धालुओं की जागरूकता और स्वच्छता संकल्प
श्रद्धालु स्वच्छता को लेकर अत्यधिक जागरूक हैं। 13 से 31 जनवरी तक दिल्ली की आबादी से नौ गुना अधिक लोग महाकुंभ में पहुंचे और गंगा में स्नान किया। इसके बावजूद मेला क्षेत्र में कूड़ा न के बराबर पाया गया। खास बात यह है कि यहाँ पान-मसाले की पीक भी देखने को नहीं मिल रही है।
दिल्ली और यूपी के अन्य शहरों की तुलना
दिल्ली की आबादी 3.46 करोड़ है और वहाँ प्रतिदिन 11,000 मीट्रिक टन कूड़ा उत्पन्न होता है। यूपी में सबसे अधिक कूड़ा लखनऊ में निकलता है, जहाँ प्रतिदिन 2000 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, जबकि कानपुर में 1150 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है।
सफाई व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
- क्षेत्रफल: महाकुंभ का मेला क्षेत्र 4200 हेक्टेयर में फैला है।
- सेक्टर: पूरे क्षेत्र को 25 सेक्टरों में विभाजित किया गया है।
- सफाईकर्मी: 10,200 सफाईकर्मी 850 समूहों में तैनात हैं।
- डस्टबिन: 25,000 लाइनर बैग युक्त डस्टबिन लगाए गए हैं।
- सक्शन गाड़ियाँ: 300 सक्शन गाड़ियाँ तैनात की गई हैं।
- गंगा सेवक: 1800 गंगा सेवादूत निगरानी में लगे हुए हैं।
आरएसएस और अन्य संस्थानों की पहल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने महाकुंभ में 50 लाख स्टील की थाली और कपड़े के थैले उपलब्ध कराने का दावा किया है। मेला क्षेत्र में कुल्हड़, दोना-पत्तल और जूट के बैग की दुकानों को 25 सेक्टरों में स्थापित किया गया है, जिससे प्लास्टिक का उपयोग कम किया जा सके।
कूड़ा निपटान और प्रोसेसिंग
मेला क्षेत्र से प्रतिदिन औसतन 300 मीट्रिक टन कूड़ा घूरपुर स्थित बसवार प्लांट में भेजा जा रहा है। विशेष पर्वों पर यह मात्रा 400 मीट्रिक टन तक पहुँच जाती है। वहाँ कचरे की प्रोसेसिंग के बाद RDF (Refuse Derived Fuel) को सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजा जाता है।
पर्यावरण अभियंता का बयान
नगर निगम, प्रयागराज के पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार वर्मा के अनुसार, “महाकुंभ में सफाई की अभूतपूर्व व्यवस्था की गई है। कूड़ा प्रबंधन के साथ-साथ स्वच्छता बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीकों और जागरूकता अभियानों का सहारा लिया जा रहा है।”
सरकार और प्रशासन की तैयारी
महाकुंभ को सफल और स्वच्छ बनाने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन ने विशेष प्रयास किए हैं। हाईटेक सफाई मशीनें, स्वच्छता निगरानी दल, एवं स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कुंभ क्षेत्र में गंगा की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए विशेष जल शुद्धिकरण उपकरण भी लगाए गए हैं।
डिजिटल तकनीकों का उपयोग
महाकुंभ में पहली बार डिजिटल तकनीकों का बड़े स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन कैमरों से सफाई व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है और कूड़ा प्रबंधन की निगरानी की जा रही है। QR कोड आधारित शिकायत प्रणाली लागू की गई है जिससे श्रद्धालु स्वच्छता से जुड़ी समस्याओं की रिपोर्ट कर सकते हैं।
श्रद्धालुओं की भूमिका और जागरूकता अभियान
महाकुंभ में आए श्रद्धालु भी इस बार स्वच्छता को लेकर पहले से अधिक जागरूक दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों में लोगों को कूड़ा कूड़ेदान में डालने, गंगा को स्वच्छ रखने, एवं प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए प्रेरित किया गया है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 न केवल एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम है, बल्कि यह स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का भी अद्भुत उदाहरण बन चुका है। श्रद्धालुओं की जागरूकता, प्रशासन की सक्रियता, और आधुनिक तकनीकों के संयोजन से यह आयोजन पूरी दुनिया में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन रहा है।