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महाकुंभ 2025: विशेष तिथियों के अनुसार होता है आयोजन, श्रद्धालुओं की संख्या नहीं तय करती समय सीमा

Mahakumbh 2025: The event is organized according to specific dates, the time limit does not decide the number of devotees : महाकुंभ 2025 को लेकर हाल ही में कई तरह की अफवाहें सामने आई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से इसके समय को बढ़ाए जाने की बात कही जा रही थी। हालांकि, प्रयागराज के जिलाधिकारी रविंद्र मांदड़ ने इस तरह की अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महाकुंभ का समापन पूर्व निर्धारित तिथि यानी 26 फरवरी 2025 को ही होगा

महाकुंभ का आयोजन कोई साधारण मेला नहीं, बल्कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान है। इसमें श्रद्धालुओं की संख्या कोई मायने नहीं रखती, बल्कि यह विशेष तिथियों और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर निर्धारित होता है।

महाकुंभ 2025: तिथि बढ़ाने की मांग पर प्रशासन की दो टूक

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महाकुंभ के दौरान स्नानार्थियों की अभूतपूर्व भीड़ को देखते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी अवधि बढ़ाने की मांग उठाई थी। इस पर जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि महाकुंभ को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा

उन्होंने जनता से अपील की कि इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। इस आयोजन का प्रत्येक निर्णय धार्मिक परंपराओं और आध्यात्मिक मान्यताओं के आधार पर होता है, न कि राजनीतिक या प्रशासनिक कारणों से।

26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ होगा समापन

महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ हुआ था। अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अंतिम शाही स्नान के साथ इसका औपचारिक समापन होगा।

हालांकि, 18 फरवरी तक ही लगभग 55 करोड़ श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। भीड़ को देखते हुए मेला बढ़ाने की मांग उठने लगी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने भी इस बात की पुष्टि की कि 26 फरवरी के बाद मेला समाप्त हो जाएगा। हालांकि, संगम और परेड ग्राउंड क्षेत्र में बिजली, पानी, सुरक्षा, पार्किंग और चकर्ड प्लेट युक्त मार्गों की सुविधाएँ बनी रहेंगी, जिनके हटने में लगभग एक महीने का समय लगेगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्धारित होती है महाकुंभ की तिथि

महाकुंभ का आयोजन किसी भी प्रशासनिक निर्णय से नहीं होता, बल्कि यह सनातन धर्म की परंपराओं और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

जगतगुरु श्रीस्वामी महेशाश्रम जी के अनुसार, महाकुंभ का विधान ग्रह-नक्षत्रों से तय होता है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब कुंभ स्नान की शुरुआत होती है और विशेष ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर इसकी समाप्ति होती है।

इसलिए, संत समाज और विद्वान आचार्यों का मत भी यही है कि महाकुंभ का समय बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। यह विशेष धार्मिक अनुष्ठान एक सुनिश्चित अवधि में ही संपन्न होता है।

महाकुंभ 2025: टेंट सिटी और पर्यटन सुविधाएँ

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में विशाल टेंट सिटी स्थापित की गई है, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के ठहरने की सुविधा दी गई है।

पर्यटन निगम द्वारा संचालित टेंट सिटी में 26 फरवरी तक ही बुकिंग उपलब्ध है। इसके बाद कोई नई बुकिंग नहीं ली जा रही है। हालांकि, निजी संचालकों द्वारा संचालित टेंट सिटी में 26 फरवरी के बाद भी एक सप्ताह तक कॉटेज उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन भारी भीड़ के कारण इनमें बुकिंग मिलना कठिन हो सकता है।

ग्रीन ट्रिब्यूनल और सेना की अनुमति से चलता है मेला

महाकुंभ का आयोजन पर्यावरण और प्रशासनिक नियमों के अनुरूप होता है। मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में अस्थायी निर्माण कार्य किए जाते हैं, जिनके लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) यानी ग्रीन ट्रिब्यूनल से अनुमति लेनी पड़ती है।

मेलाधिकारी विजय किरन आनंद के अनुसार, प्रशासन ने ग्रीन ट्रिब्यूनल को सूचित किया था कि मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। इसके बाद अस्थायी निर्माणों को 15 दिनों के भीतर हटा दिया जाएगा, ताकि नदी क्षेत्र अपने मूल स्वरूप में लौट सके।

इसके अलावा, कुंभ क्षेत्र की कई ज़मीनें भारतीय सेना के अधिकार में हैं, जिनके उपयोग के लिए प्रशासन ने 26 फरवरी तक की अनुमति ली हुई है। अगर मेले की अवधि बढ़ानी होती, तो इसके लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल और सेना से दोबारा अनुमति लेनी पड़ती, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं की संख्या ने बनाए नए कीर्तिमान

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महाकुंभ 2025 में अब तक 55 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या अंतिम स्नान के दिन तक और अधिक बढ़ने की संभावना है।

मेला क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी और CCTV कैमरों के जरिए निगरानी की जा रही है।

सरकार और प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है, जिसमें शामिल हैं:

विशाल टेंट सिटी में रुकने की सुविधा
24×7 चिकित्सा सेवाएँ और मोबाइल अस्पताल
सुरक्षित और सुगम स्नान घाटों की व्यवस्था
विशेष ट्रैफिक प्रबंधन और पार्किंग व्यवस्था

महाकुंभ 2025: एक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का जीवंत प्रमाण है। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है, जो धर्म, आस्था, परंपरा और संस्कृति का संगम प्रस्तुत करता है।

यहाँ साधु-संतों की ज्ञान-गंगा प्रवाहित होती है, भक्तों की श्रद्धा और आस्था की अनुभूति होती है, और पूरा वातावरण मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजनों से ओत-प्रोत रहता है।

निष्कर्ष: महाकुंभ 2025 का समापन निश्चित, तिथि नहीं बढ़ेगी

महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक भीड़ देखी जा रही है, लेकिन यह आयोजन विशेष ज्योतिषीय गणनाओं और धार्मिक परंपराओं के अनुरूप निर्धारित होता है।

📌 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान के साथ महाकुंभ का औपचारिक समापन होगा।
📌 ग्रीन ट्रिब्यूनल और सेना से ली गई अनुमति के अनुसार, इसके बाद मेला क्षेत्र को खाली किया जाएगा।
📌 श्रद्धालुओं को संगम में स्नान का अवसर मिलता रहेगा, लेकिन मेले की अवधि नहीं बढ़ेगी।

इसलिए, श्रद्धालुओं से अपील है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और महाकुंभ 2025 के आध्यात्मिक अनुभव का पूर्ण लाभ उठाएँ।

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