लिवर हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल पाचन प्रक्रिया में सहायक है बल्कि विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर की चयापचय क्रिया को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाता है। लेकिन जब लिवर बीमार होता है, तो इसका सीधा असर पूरे शरीर की सेहत पर पड़ता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि लिवर की बीमारियाँ क्या होती हैं, उनके प्रकार कौन-कौन से हैं, लक्षण क्या होते हैं और ये बीमारियाँ हमारे शरीर पर किस तरह प्रभाव डालती हैं।
Table of Contents
लिवर की बीमारियाँ क्या हैं?
लिवर डिज़ीज़ यानी यकृत रोग उस स्थिति को कहा जाता है जब लिवर ठीक से काम नहीं करता या उसमें किसी प्रकार की रुकावट या क्षति आ जाती है। यह स्थिति धीरे-धीरे भी विकसित हो सकती है और अचानक भी। लिवर संबंधी समस्याएँ बहुत ही गंभीर हो सकती हैं, अगर समय रहते इलाज न किया जाए।
लिवर के कार्य क्या हैं?
लिवर शरीर में लगभग 500 से भी अधिक कार्य करता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- खून को छानना और विषैले तत्वों को बाहर निकालना
- पाचन के लिए पित्त (बाइल) का निर्माण
- विटामिन और खनिजों को संग्रहित करना
- प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल का निर्माण
- दवाओं के प्रभाव को संतुलित करना
जब लिवर इन कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पाता, तब बीमारी जन्म लेती है।
लिवर की प्रमुख बीमारियाँ और उनके प्रकार
1. हेपेटाइटिस (Hepatitis)
हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण होता है जो लिवर की सूजन का कारण बनता है। यह वायरस A, B, C, D और E प्रकार का हो सकता है।
- हेपेटाइटिस A आमतौर पर दूषित पानी या भोजन से होता है।
- हेपेटाइटिस B और C रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से फैलते हैं और गंभीर लिवर क्षति का कारण बन सकते हैं।
- हेपेटाइटिस E गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है।
2. फैटी लिवर (Fatty Liver Disease)
जब लिवर में वसा (Fat) का जमाव हो जाता है तो उसे फैटी लिवर कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है:
- अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (AFLD) – शराब के अत्यधिक सेवन से होता है।
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) – मोटापा, डायबिटीज़ और अस्वस्थ खान-पान से होता है।
3. सिरोसिस (Cirrhosis)
यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसमें लिवर के ऊतक क्षतिग्रस्त होकर स्थायी रूप से बदल जाते हैं। इसका कारण लंबे समय तक शराब पीना, हेपेटाइटिस संक्रमण या फैटी लिवर हो सकता है।
4. लिवर कैंसर (Liver Cancer)
लिवर कैंसर तब होता है जब लिवर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह प्राइमरी (लिवर से शुरू) या सेकेंडरी (किसी अन्य अंग से लिवर तक फैला हुआ) हो सकता है।
5. हेमोक्रोमैटोसिस और विल्सन डिज़ीज़
ये दोनों अनुवांशिक रोग होते हैं जिनमें शरीर में लोहे या तांबे की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है और लिवर पर बुरा असर डालती है।
लिवर रोगों के लक्षण
लिवर की बीमारियाँ धीरे-धीरे उभरती हैं, लेकिन समय रहते अगर इन लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इलाज संभव है:
- अत्यधिक थकान या कमजोरी
- भूख में कमी
- पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द
- आंखों और त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)
- पेट में सूजन (एब्डोमिनल स्वेलिंग)
- गहरे रंग का पेशाब
- हल्के रंग का मल
- बार-बार उल्टी या मतली
लिवर की बीमारियों का प्रभाव शरीर पर
लिवर की खराबी केवल पाचन प्रणाली को ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करती है:
- रक्त शुद्धिकरण बाधित हो जाता है, जिससे विषैले तत्व शरीर में जमा होने लगते हैं।
- हॉर्मोनल असंतुलन उत्पन्न होता है, जो महिलाओं में मासिक धर्म गड़बड़ी और पुरुषों में यौन दुर्बलता ला सकता है।
- ब्रेन फंक्शन पर असर पड़ता है – लिवर की विफलता से हेपेटिक एन्सेफालोपैथी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसमें मानसिक भ्रम और बेहोशी जैसी समस्याएँ देखी जाती हैं।
- रक्तस्राव और चोट लगने पर अधिक खून बहना – क्योंकि लिवर रक्त जमाने वाले तत्व बनाता है, उसकी खराबी से खून बहना रुकता नहीं।
लिवर रोगों से बचाव कैसे करें?
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लिवर की बीमारियों से बचा जा सकता है:
- संतुलित और कम वसायुक्त भोजन करें
- शराब और धूम्रपान से बचें
- समय-समय पर लिवर फ़ंक्शन टेस्ट कराएं
- हेपेटाइटिस A और B के टीके लगवाएँ
- साफ पानी पिएं और स्वच्छता का ध्यान रखें
- वजन नियंत्रित रखें और नियमित व्यायाम करें
- अनावश्यक दवाओं का सेवन न करें
लिवर रोगों का इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी किस स्तर पर है:
- शुरुआती अवस्था में दवाओं और आहार सुधार से इलाज संभव है।
- सिरोसिस या लिवर फेलियर की स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट अंतिम विकल्प होता है।
- हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं।
निष्कर्ष
लिवर की बीमारियाँ अगर समय रहते पहचान ली जाएँ तो इनका इलाज पूरी तरह संभव है। बदलती जीवनशैली, खान-पान की गलत आदतें और प्रदूषित वातावरण ने इन रोगों की संख्या बढ़ा दी है, लेकिन जागरूकता और सतर्कता से हम लिवर को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस करें, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।
आपका लिवर स्वस्थ रहेगा तो आपकी ज़िंदगी लंबी और ऊर्जा से भरपूर होगी।