High Court’s order: All facts related to the Maha Kumbh tragedy should be brought on record, next hearing will be on 19th February : महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या स्नान के अवसर पर हुए हादसे को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। इस हादसे में कई श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कुछ अब भी लापता हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता को सभी आवश्यक तथ्यों और रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस आधार पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया जाएगा।
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जनहित याचिका में क्या कहा गया है?
इस याचिका को सुरेश चंद्र पांडेय द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा हादसे में मृतकों और लापता श्रद्धालुओं की सटीक जानकारी नहीं दी गई है। इसी कारण, याचिका में निम्नलिखित मांगे की गई हैं:
- न्यायिक निगरानी समिति गठित की जाए – एक स्वतंत्र समिति बनाई जाए, जो हादसे में मारे गए लोगों और लापता श्रद्धालुओं की सही संख्या का पता लगा सके।
- सरकारी आंकड़ों की जांच की जाए – सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों की सटीकता की समीक्षा की जाए, ताकि कोई भी तथ्य छिपाया न जा सके।
- जनता को अधिक जानकारी दी जाए – मृतकों और लापता लोगों की सूची को प्रमुख समाचार पत्रों और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रकाशित किया जाए, जिससे उनके परिवारजन और अन्य नागरिकों को सटीक जानकारी मिल सके।
- स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट मांगी जाए – मुख्य चिकित्साधिकारी प्रयागराज और महाकुंभ के स्वास्थ्य अधिकारी से घटना में घायल और मृत लोगों की पूरी सूची अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए जाएं।
सरकार की जांच पर सवाल उठाए गए
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में दलील दी कि राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग का दायरा बहुत सीमित है। सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित किया है। हालांकि, इस आयोग के अधिकार सीमित हैं, और यह उन श्रद्धालुओं का पता लगाने में सक्षम नहीं है जो हादसे के बाद लापता हैं।
अदालत में प्रस्तुत दलील के अनुसार, सरकार ने स्नानार्थियों की संख्या को लेकर तेजी से आंकड़े जारी किए थे, लेकिन मृतकों की संख्या को सार्वजनिक करने में करीब 18 घंटे की देरी हुई। यह देरी संदेह उत्पन्न करती है कि कहीं सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाने का प्रयास तो नहीं कर रही है।
हाईकोर्ट ने तथ्यों की मांग की
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मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिका में लगाए गए आरोप विभिन्न रिपोर्टों पर आधारित हैं, लेकिन अभी तक अदालत में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपने दावों के समर्थन में ठोस प्रमाण और दस्तावेज प्रस्तुत करें, ताकि सरकार से जवाब मांगा जा सके।
19 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से अधिक समय की मांग की ताकि वे महाकुंभ हादसे से संबंधित सभी साक्ष्य और रिकॉर्ड प्रस्तुत कर सकें। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 19 फरवरी 2025 निर्धारित की है।
क्या है महाकुंभ हादसे का पूरा मामला?
हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे पवित्र आयोजनों में से एक है। मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर, लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के लिए प्रयागराज में एकत्र होते हैं।
2025 के महाकुंभ में 10 फरवरी को मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भारी भीड़ उमड़ी, जिसके चलते अव्यवस्था फैल गई। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, भीड़ बढ़ने के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। कुछ श्रद्धालु नदी में गिर गए और कुछ कुचले जाने से गंभीर रूप से घायल हो गए।
हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक मृतकों की सही संख्या सार्वजनिक नहीं की है, जिससे पीड़ितों के परिवारों में नाराजगी है।
राजनीतिक विवाद भी गरमाया
महाकुंभ हादसे पर राजनीतिक दलों ने भी सरकार को घेरा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार हादसे की सही जानकारी छुपा रही है और प्रशासनिक लापरवाही के कारण ही इतनी बड़ी त्रासदी हुई।
प्रमुख विपक्षी नेताओं के बयान:
- विपक्ष के नेता (नाम) – “सरकार इस घटना को लेकर पारदर्शी नहीं है। मृतकों और लापता लोगों की वास्तविक संख्या छिपाई जा रही है।”
- दूसरी पार्टी के प्रवक्ता (नाम) – “अगर प्रशासन ने पहले से सुरक्षा उपाय किए होते, तो यह हादसा टल सकता था।”
- समाजसेवी संगठनों की मांग – “लापता श्रद्धालुओं के परिवारों को जल्द से जल्द जानकारी दी जाए और सरकार पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करे।”
हाईकोर्ट के फैसले का क्या होगा असर?
अगर हाईकोर्ट सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश देता है, तो यह हादसे से संबंधित कई छिपे हुए तथ्यों को उजागर कर सकता है। इससे प्रभावित परिवारों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
हाईकोर्ट के इस मामले में तीन प्रमुख पहलू हैं:
- क्या सरकार हादसे की सही जानकारी सार्वजनिक कर रही है?
- क्या लापता श्रद्धालुओं की तलाश के लिए कोई विशेष कदम उठाए गए हैं?
- क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई नीति बनाई जाएगी?
निष्कर्ष
महाकुंभ हादसे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई जारी है। अदालत ने याचिकाकर्ता से ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि सरकार से जवाब मांगा जा सके। 19 फरवरी 2025 को अगली सुनवाई होगी, जिसमें इस मामले में सरकार का पक्ष भी सामने आएगा।
इस हादसे को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। अगर अदालत ने इस मामले में सख्त कदम उठाए, तो इससे प्रशासनिक जवाबदेही तय होगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नए सुरक्षा उपाय लागू किए जा सकते हैं।
अब सभी की नजरें 19 फरवरी की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि महाकुंभ हादसे के पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा या नहीं।