Heavy fall in stock market: Sensex falls 1800 points

शेयर बाजार में भारी गिरावट: सेंसेक्स 1800 अंक टूटा, निफ्टी 25250 से नीचे

Heavy fall in stock market: Sensex falls 1800 points, Nifty below 25250 : गुरुवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए भारी नुकसान भरा रहा। सेंसेक्स और निफ्टी में 2% से अधिक की गिरावट आई, जिससे निवेशकों को 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा। इसके पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण थे, जिनमें पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल प्रमुख रहे।

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट के कारण

पश्चिम एशिया में तनाव

पश्चिम एशिया में ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक बाजारों में चिंता पैदा की है। इस तनाव के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होने की संभावना बढ़ गई है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखा गया, जो तेल आयातक देशों के लिए एक बड़ी चिंता है।

इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने के कारण निवेशकों ने बाजार में नई खरीदारी से बचने का निर्णय लिया, जिससे बिकवाली हावी हो गई और शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 1,769 अंकों की गिरावट के साथ 82,497.10 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 546 अंक टूटकर 25,250.10 पर क्लोज हुआ।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए एक बड़ी चिंता हैं। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 72 डॉलर पर पहुंच गया। तेल की कीमतों में यह उछाल बाजार के लिए नकारात्मक संकेत है, क्योंकि भारत का आयात बिल तेल की कीमतों पर बहुत निर्भर करता है।

तेल की कीमतों पर असर डालने वाले कारक

कारकविवरण
पश्चिम एशिया में संघर्षईरान और इस्राइल के बीच तनाव
कच्चे तेल की बढ़ती मांगवैश्विक बाजार में मांग में इजाफा
आपूर्ति बाधित होने की संभावनासंघर्ष के कारण तेल आपूर्ति प्रभावित

वायदा कारोबार के नए नियम

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में वायदा और विकल्प (F&O) सेगमेंट के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिनका असर भी शेयर बाजार पर देखा जा रहा है। नए नियमों के तहत साप्ताहिक समाप्ति की तिथि में बदलाव और अनुबंध आकार बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इन बदलावों से रिटेल निवेशकों में चिंता बढ़ी है, जिससे व्यापार की गति प्रभावित हो रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि इन नए नियमों के कारण बाजार में अस्थिरता बढ़ी है और इसका नकारात्मक असर शेयर बाजार पर पड़ा है।

चीन का बाजार और उसका असर

चीन के शेयर बाजार में आई मजबूती भी भारतीय निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। पिछले कुछ समय से चीन के शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी था, लेकिन हाल ही में चीनी सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के बाद बाजार में तेजी आई है।

चीन के SSE कंपोजिट इंडेक्स में इस सप्ताह 8% की बढ़ोतरी हुई, जिससे भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों ने 15,370 करोड़ रुपये की निकासी की।

रुपया और डॉलर में असंतुलन

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव का असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ा। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 पैसे कमजोर होकर 83.93 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से पूंजी निकासी और डॉलर की मजबूती के कारण रुपये पर दबाव बढ़ा।

निफ्टी के टॉप गेनर्स और लूजर्स

टॉप गेनर्स:

  • जेएसडब्ल्यू स्टील
  • टाटा स्टील

टॉप लूजर्स:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज
  • एचडीएफसी बैंक
  • आईसीआईसीआई बैंक
  • एमएंडएम
  • एलएंडटी
  • भारती एयरटेल

निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स में गिरावट

पश्चिम एशिया में तनाव के कारण निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स में भी गिरावट दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में यह इंडेक्स 1.2% गिरा। इंडेक्स में हिंदुस्तान पेट्रोलियम, IOC और GSPC के शेयर सबसे ज्यादा कमजोर रहे।

साथ ही, India VIX (वोलैटिलिटी इंडेक्स) में 8.9% की उछाल देखी गई, जो बाजार की अस्थिरता को दर्शाता है। वोलैटिलिटी इंडेक्स का उछलना भी यह दर्शाता है कि निवेशक बाजार में अनिश्चितता को लेकर चिंतित हैं।

घरेलू शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति

इस गिरावट के बाद बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5.63 लाख करोड़ रुपये घटकर 469.23 लाख करोड़ रुपये रह गया।

घरेलू शेयर बाजार पर असर डालने वाले प्रमुख कारण:

कारणविवरण
पश्चिम एशिया में तनावईरान और इस्राइल के बीच संघर्ष
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफातेल की आपूर्ति बाधित होने की संभावना
वायदा कारोबार के नए नियमSEBI द्वारा लागू किए गए नए नियम
चीन का शेयर बाजारचीनी बाजार में तेजी के कारण विदेशी निवेशकों की निकासी
रुपया और डॉलर में असंतुलनडॉलर की मजबूती और रुपये की कमजोरी

निचोड़

भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को आई गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारणों का परिणाम थी। पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, वायदा कारोबार के नियमों में बदलाव और चीन के बाजार में मजबूती ने निवेशकों के लिए चिंताएं पैदा कीं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये कारक बाजार पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *