कंपनी को हैक करने वाला हैकर: नौकरी देने के बाद मांगी फिरौती
साइबर अपराध की अनोखी घटना: कंपनी ने गलती से किया हैकर को हायर
Hacker who hacked the company: Demanded ransom after giving job : आजकल के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है। आए दिन कंपनियों को नए-नए साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हाल ही में हुई एक घटना ने सबको हैरान कर दिया। इस घटना में एक कंपनी ने गलती से एक हैकर को नौकरी पर रख लिया, और वही हैकर बाद में कंपनी को ही हैक कर लिया।
हैकर ने फर्जी तरीके से पाया काम, चार महीने तक करता रहा डेटा चोरी
इस हैकर ने अपनी पहचान और काम का अनुभव झूठे तरीके से प्रस्तुत किया था। उसने नौकरी पाने के लिए जो जानकारी दी, वह पूरी तरह से फर्जी थी। कंपनी को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि वह जिसे अपने साथ जोड़ रही है, वही उसके लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
चार महीने तक, बिना किसी शक के, वह व्यक्ति कंपनी में काम करता रहा। इस दौरान उसने कंपनी के महत्वपूर्ण डेटा को चोरी कर लिया। हैकर ने कंपनी के सिस्टम में गुप्त रूप से अपनी पकड़ बना ली थी, जिससे वह धीरे-धीरे जरूरी जानकारी इकट्ठा करता रहा।
हैकर की फिरौती की मांग: डेटा के बदले भारी रकम
कुछ समय बाद, जब कंपनी ने हैकर को उसके खराब प्रदर्शन के कारण नौकरी से निकाल दिया, तो उन्हें एक धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ। इस ईमेल में हैकर ने चुराए गए डेटा का एक छोटा सा हिस्सा दिखाया और इसके बदले में एक बड़ी फिरौती की मांग की। उसने क्रिप्टोकरेंसी में छह अंकों की रकम मांगी और साफ कहा कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो वह चुराई गई जानकारी को सार्वजनिक कर देगा या बेच देगा।
कंपनी ने अब तक यह खुलासा नहीं किया है कि उन्होंने फिरौती का भुगतान किया या नहीं। लेकिन यह घटना उन कंपनियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्कर्स को हायर करती हैं।
उत्तर कोरियाई साइबर अपराधी: पश्चिमी कंपनियों को निशाना बनाकर धोखाधड़ी
यह घटना एक ऐसी श्रृंखला का हिस्सा है जिसमें पश्चिमी कंपनियों को उत्तर कोरियाई साइबर अपराधियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां रिमोट वर्कर्स की आड़ में उत्तर कोरियाई साइबर अपराधियों ने काम किया और फिर कंपनियों से डेटा चुराने के बाद फिरौती की मांग की।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और अधिकारियों ने 2022 से पश्चिमी कंपनियों को इस बढ़ते खतरे के बारे में आगाह किया है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया का मानना है कि उत्तर कोरिया ने अपने हजारों श्रमिकों को पश्चिमी देशों में उच्च वेतन वाली नौकरियों में लगाया है ताकि वे प्रतिबंधों से बच सकें और डेटा चोरी कर सकें।
पश्चिमी कंपनियों की गलती: अनजाने में हायर किए उत्तर कोरियाई वर्कर्स
साइबर सुरक्षा कंपनी मैनडियंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई फॉर्च्यून 100 कंपनियां गलती से उत्तर कोरियाई वर्कर्स को हायर कर चुकी हैं। इन वर्कर्स ने अपनी पहचान और काम के अनुभव को गलत तरीके से पेश किया, जिससे कंपनियां धोखे में आ गईं। हालांकि, यह भी देखा गया है कि उत्तर कोरियाई आईटी कर्मचारियों द्वारा साइबर हमले करने के मामले कम हैं, लेकिन जो भी मामले सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं।
कंपनियों के लिए सुरक्षा उपाय: सावधानी ही बचाव
इस घटना से यह साफ हो गया है कि आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा के उपाय कितने जरूरी हो गए हैं। कंपनियों को केवल तकनीकी उपायों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने वर्कर्स की पृष्ठभूमि की गहन जांच भी करनी चाहिए।
वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्कर्स की नियुक्ति करते समय कंपनियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। किसी भी कर्मचारी की भर्ती से पहले उसकी पृष्ठभूमि और पहचान को पूरी तरह से जांचना अनिवार्य है।
निष्कर्ष: साइबर हमलों से बचने के लिए सतर्कता जरूरी
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर हमले केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि कभी-कभी अंदरूनी लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं। इसलिए कंपनियों को न केवल अपने साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना चाहिए, बल्कि अपने कर्मचारियों के चयन में भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
साइबर अपराधियों की लगातार बढ़ती चालाकी के चलते आने वाले समय में ऐसे हमले और बढ़ सकते हैं। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे न केवल तकनीकी रूप से बल्कि मानव संसाधन के स्तर पर भी पूरी तरह से सतर्क रहें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।