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नेपाल में आया भूकंप: धरती कांपी, उत्तर भारत भी हिला – जानिए कब, कहां और क्यों महसूस हुए झटके

नेपाल की शांत वादियों में अचानक एक बार फिर धरती कांप उठी। सोमवार सुबह एक बार फिर नेपाल भूकंप के झटकों से दहल उठा। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.0 मापी गई। हालांकि इस भूकंप का केंद्र नेपाल में था, लेकिन इसके झटके भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों तक भी महसूस किए गए। भूकंप भले ही कुछ ही सेकंड के लिए रहा, लेकिन इससे दहशत का माहौल बन गया।

भूकंप के इस ताजा घटनाक्रम ने न केवल नेपाल को एक बार फिर खतरे के प्रति सतर्क कर दिया है, बल्कि उत्तर भारत के लोगों के बीच भी भय और चिंता की लहर दौड़ गई है।


कब और कहां आया भूकंप?

भूकंप सोमवार सुबह करीब 5:15 बजे महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र नेपाल के मध्य भाग में स्थित था। यह सतह से करीब 10 किलोमीटर की गहराई पर था। चूंकि भूकंप सतह के पास था, इसलिए इसके झटके तेज महसूस हुए।

हालांकि, कोई बड़ी क्षति की खबर सामने नहीं आई है, लेकिन झटकों की तीव्रता और असर ने लोगों को चिंता में डाल दिया है।


उत्तर भारत में भी महसूस हुए झटके

नेपाल से लगे भारतीय राज्यों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और यहां तक कि दिल्ली-एनसीआर में भी लोगों ने सुबह-सुबह धरती में हल्का कंपन महसूस किया।

  • उत्तराखंड: पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा और नैनीताल जैसे जिलों में झटके ज्यादा तीव्र महसूस किए गए।
  • उत्तर प्रदेश: लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती और गोंडा जैसे सीमावर्ती जिलों में भी लोग घरों से बाहर निकल आए।
  • बिहार: सुपौल, अररिया और किशनगंज में लोगों ने कंपन की सूचना दी।
  • दिल्ली-एनसीआर: यहां झटके बहुत हल्के थे लेकिन कुछ ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को थोड़ी देर के लिए कंपन का एहसास हुआ।

कैसा था लोगों का अनुभव?

भूकंप जब आता है तो आमतौर पर पहले कुछ सेकंड के लिए लोग भ्रमित हो जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। कई लोग अपने घरों में सो रहे थे, अचानक फर्श हिलने लगा और खिड़की-दरवाजे खड़कने लगे। कुछ ने तो ऐसा समझा कि कोई भारी वाहन सड़क से गुजरा है, लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास हुआ कि यह भूकंप है।

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने लिखा कि “सुबह-सुबह धरती कांपी, हम सब घर से बाहर निकल गए”। जबकि कुछ ने लिखा, “झटका तो हल्का था, लेकिन डर अब भी कायम है।”


भूकंप क्यों आते हैं नेपाल में बार-बार?

नेपाल भौगोलिक दृष्टि से बहुत संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। यह इलाका हिमालयन फॉल्ट लाइन पर बसा है, जो पृथ्वी की दो प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स—इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट—के टकराने वाले क्षेत्र में आता है।

जब ये प्लेट्स एक-दूसरे पर दबाव डालती हैं, तो ऊर्जा इकट्ठा होती है और एक समय बाद यह ऊर्जा भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। इसी कारण नेपाल और उसके आसपास के क्षेत्र बार-बार भूकंप की चपेट में आते हैं।


इतिहास गवाह है: नेपाल और भूकंप की त्रासदी

नेपाल में भूकंप कोई नई बात नहीं है। इतिहास गवाह है कि यह देश कई बार भीषण भूकंपों का शिकार हो चुका है।

2015 का विनाशकारी भूकंप

  • 25 अप्रैल 2015 को आए भूकंप ने नेपाल की तस्वीर ही बदल दी थी।
  • तीव्रता थी 7.8, और इससे 9000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
  • हजारों इमारतें गिर गईं, सैकड़ों गाँव पूरी तरह तबाह हो गए।
  • काठमांडू के कई ऐतिहासिक मंदिर और धरोहर भी इस भूकंप में नष्ट हो गए थे।

इस घटना ने पूरे विश्व का ध्यान नेपाल की ओर खींचा था, और इस क्षेत्र की संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई थी।


क्या है भूकंप की तीव्रता और उसका प्रभाव?

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता को मापा जाता है। नीचे कुछ स्तरों के असर दिए गए हैं:

तीव्रताप्रभाव
0 – 3बहुत हल्का, महसूस भी नहीं होता
3 – 4हल्का कंपन, कोई नुकसान नहीं
4 – 5खिड़की-दरवाज़े हिलते हैं, हल्का नुकसान संभव
5 – 6मध्यम तीव्रता, पुरानी/कमज़ोर इमारतों को नुकसान
6 – 7बड़ा भूकंप, भारी नुकसान संभव
7+बहुत विनाशकारी, जान-माल की भारी क्षति

इस हिसाब से नेपाल में आया 5.0 तीव्रता वाला भूकंप मध्यम श्रेणी का था। यह गंभीर नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन कमजोर संरचनाओं को प्रभावित कर सकता है।


सरकार और राहत एजेंसियों की प्रतिक्रिया

नेपाल सरकार ने तुरंत आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट पर रखा। जिलों में प्रशासन को निर्देश दिए गए कि कहीं कोई नुकसान हुआ हो, तो तुरंत सहायता पहुंचाई जाए।

भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और सीस्मोलॉजी विभाग ने स्थिति पर नजर रखी और सभी संबंधित राज्यों को सतर्क रहने को कहा।


क्या करें भूकंप के दौरान? (सावधानियां)

भूकंप के समय सही व्यवहार जानना ज़िंदगी बचा सकता है। नीचे कुछ जरूरी बातें दी जा रही हैं:

भूकंप के समय:

  • घबराएं नहीं, शांत रहें।
  • किसी मजबूत टेबल या बेड के नीचे छिप जाएं।
  • खिड़की, शीशे और ऊँची चीज़ों से दूर रहें।
  • लिफ्ट का प्रयोग न करें।
  • बाहर हैं तो खुले स्थान में रहें, बिजली के तारों और बिल्डिंग से दूर।

भूकंप के बाद:

  • इमारत की स्थिति की जांच करें, अगर दरारें हैं तो बाहर रहें।
  • गैस लीकेज या बिजली की समस्या हो तो तुरंत सहायता लें।
  • अफवाहों से बचें और सरकारी सूचना का पालन करें।

निष्कर्ष: एक और चेतावनी – प्रकृति से सजग रहें

नेपाल में आया यह भूकंप भले ही बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति कभी भी, कहीं भी अपना रूप बदल सकती है। नेपाल और उत्तर भारत का क्षेत्र भूकंप के लिहाज़ से संवेदनशील है, और ऐसे में सतर्कता और तैयारी ही सबसे बड़ा बचाव है।

सरकारें अपना काम कर रही हैं, लेकिन हमें व्यक्तिगत रूप से भी जागरूक और सतर्क रहना होगा। चाहे वह घर की बनावट हो, या स्कूलों और दफ्तरों में सुरक्षा प्रबंधन – हर स्तर पर तैयारी ज़रूरी है।

प्रकृति की चेतावनी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि छोटी-छोटी हलचलें कभी-कभी बड़े तूफान का संकेत होती हैं।

Ashish
Ashishhttps://www.aajkinews27.com
Ashish is a passionate news writer with 3 years of experience covering politics, business, entertainment, sports, and the latest news. He delivers accurate and engaging content, keeping readers informed about current events. With a keen eye for detail, Ashish ensures every story is well-researched and impactful. Stay updated with his insightful news coverage.
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