Cheteshwar Pujara: चेतेश्वर पुजारा ने रणजी ट्रॉफी में लगाया शतक, इस मामले में ब्रायन लारा को पीछे छोड़ा, जानें
Cheteshwar Pujara: Cheteshwar Somnath scored a century in Ranji Trophy, left Brian Lara behind in this matter, know : चेतेश्वर पुजारा का नाम भारतीय क्रिकेट में हमेशा उन खिलाड़ियों में गिना जाएगा, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी बल्लेबाजी की शैली, अनुशासन, और धैर्य के चलते उन्हें ‘भारतीय क्रिकेट का दीवार’ कहा जाता है। हाल ही में पुजारा ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया, जब उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अपना 66वां शतक जड़ते हुए वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा को पीछे छोड़ दिया। यह उपलब्धि उनकी लगन और समर्पण का परिणाम है, जिसने उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे सफल बल्लेबाजों में शुमार किया है। हालांकि, भारतीय खिलाड़ियों में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने के मामले में पुजारा तीसरे स्थान पर हैं। उनसे ऊपर सिर्फ सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर हैं, जिन्होंने 81-81 शतक लगाए हैं, और राहुल द्रविड़ हैं, जिनके नाम 68 शतक हैं।
प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट का सफर
चेतेश्वर पुजारा का जन्म 25 जनवरी 1988 को गुजरात के राजकोट में हुआ था। उनका क्रिकेट का सफर उनके परिवार से शुरू हुआ, क्योंकि उनके पिता अरविंद पुजारा और चाचा बिपिन पुजारा, दोनों सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल चुके थे। यही पारिवारिक परंपरा चेतेश्वर के क्रिकेट करियर की नींव बनी। 2005 में उन्होंने सौराष्ट्र के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और धीरे-धीरे घरेलू क्रिकेट में अपना कद बढ़ाया।
उनका घरेलू करियर कई शानदार उपलब्धियों से भरा पड़ा है। रणजी ट्रॉफी में वह सौराष्ट्र की टीम के लिए आधारशिला बने रहे हैं और कई बार टीम के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे हैं। 2017-18 के रणजी ट्रॉफी संस्करण में उन्होंने सिर्फ चार मैचों में 437 रन बनाए थे। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह रही है कि वह टीम के लिए एंकर की भूमिका निभाते हुए बड़ी पारी खेलते हैं। 2019-20 के रणजी ट्रॉफी सीजन में पुजारा ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 50 शतक पूरे कर लिए थे, जो उनके निरंतरता और खेल के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत
पुजारा के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत अक्तूबर 2010 में बंगलूरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में हुई थी। उनकी शुरुआत शानदार रही और वह धीरे-धीरे भारतीय टेस्ट टीम का अभिन्न हिस्सा बन गए। पुजारा अपनी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी शैली के लिए जाने जाते हैं। उनकी बैटिंग अप्रोच को अक्सर डिफेंसिव अप्रोच कहा जाता है, जिसमें वह समय निकालकर विकेट पर टिके रहते हैं और फिर धीरे-धीरे बड़े स्कोर की ओर बढ़ते हैं। यही शैली उन्हें टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक सफल बनाए रखी।
पुजारा ने 100 से अधिक टेस्ट मैचों में 43.60 की औसत से 7195 रन बनाए हैं, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। उनका योगदान भारतीय क्रिकेट के कई महत्वपूर्ण सीरीज में रहा है। खासकर 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनका प्रदर्शन यादगार रहा। रांची में खेले गए तीसरे टेस्ट में पुजारा ने तीसरा दोहरा शतक लगाया था और ऋद्धिमान साहा के साथ 199 रन की साझेदारी की थी। वह मैच भारत की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ था और पुजारा को उस मैच का ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ घोषित किया गया था।
रणजी ट्रॉफी और काउंटी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन
पुजारा का रणजी ट्रॉफी करियर भी उतना ही प्रभावशाली रहा है। हाल ही में रणजी ट्रॉफी के राउंड दो में छत्तीसगढ़ के खिलाफ खेलते हुए पुजारा ने अपना 66वां फर्स्ट क्लास शतक जड़ा। इसके साथ ही उन्होंने 21,000 फर्स्ट क्लास रन भी पूरे किए। यह मील का पत्थर उनके क्रिकेट करियर की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इसके अलावा, पुजारा ने काउंटी क्रिकेट में भी शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि, उनके काउंटी प्रदर्शन को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जितनी की उनकी भारतीय टेस्ट टीम में भूमिका को मिली है। लेकिन काउंटी में उनके प्रदर्शन ने उन्हें एक स्थायी बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया, जिसने सभी प्रारूपों में अपनी योग्यता साबित की है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं
पुजारा वर्तमान में भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं और पिछले कुछ समय से टेस्ट क्रिकेट नहीं खेले हैं। उनके अनुभव और धैर्य को देखते हुए उनकी वापसी की संभावना पर चर्चा होती रही है, लेकिन अब उनके टेस्ट करियर के पुनरुद्धार की संभावना कम होती दिख रही है। हालांकि, रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंटों में वह लगातार अपने बल्ले से रन बना रहे हैं और यह साबित कर रहे हैं कि उनमें अभी भी बहुत क्रिकेट बाकी है।
निष्कर्ष
चेतेश्वर पुजारा भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे स्तंभ हैं, जिन्होंने अपने धैर्य और अनुशासन से खुद को क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में एक सफल खिलाड़ी साबित किया है। उनके नाम दर्ज उपलब्धियां, जैसे फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 66 शतक और 21,000 से अधिक रन, उनके समर्पण और कठिन परिश्रम का प्रमाण हैं। रणजी ट्रॉफी और काउंटी क्रिकेट में उनका योगदान भी अद्वितीय है। हालांकि उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का अगला अध्याय अनिश्चित हो सकता है, लेकिन पुजारा की उपलब्धियां भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।