उत्तराखंड सचिवालय में तबादला नीति: अफसरों की मनमानी पर लगेगी लगाम

उत्तराखंड के सचिवालय में अफसरों और कर्मचारियों की मनमानी पर जल्द ही रोक लगने वाली है। 2007 में लागू की गई तबादला नीति को दरकिनार कर कई अफसर-कर्मचारी वर्षों से एक ही विभाग में कार्यरत थे, जिससे महत्वपूर्ण विभागों में उनकी मनमानी चल रही थी। अब सचिवालय प्रशासन ने इस नीति में संशोधन की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आ सके।

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2007 की तबादला नीति की समीक्षा

सचिवालय में 2007 में तबादला नीति लागू की गई थी, जिसमें समूह क, ख और ग के अफसरों के लिए एक ही विभाग में अधिकतम तीन से चार साल तक कार्यरत रहने का प्रावधान था। इस नीति के अनुसार, एक बार विभाग छोड़ने के बाद पांच साल तक दोबारा उसी विभाग में वापसी नहीं हो सकती थी। इसके अलावा, संदेहास्पद सत्यनिष्ठा वाले कर्मियों को संवेदनशील पदों पर तैनात करने से बचने का निर्देश भी था।

नई तबादला नीति की आवश्यकता

हालांकि, समय के साथ कई अफसरों ने इस नीति को नजरअंदाज किया और अपनी पसंद के अनुसार विभागों में तबादले कराए। अनुभाग अधिकारी, निजी सचिव और समीक्षा अधिकारी के पदों पर भी अफसरों ने अपनी पसंद के मातहत अधिकारियों को तैनात किया। इससे सचिवालय में कई महत्वपूर्ण विभागों की कार्यक्षमता प्रभावित हुई।

सचिवालय प्रशासन विभाग अब नई तबादला नीति का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में इस नीति के संशोधन पर चर्चा हो चुकी है, और अगले कुछ दिनों में इसे लागू करने की योजना है।

मुख्यमंत्री के निर्देश

पिछले दिनों सचिवालय संघ के अध्यक्ष सुनील लखेड़ा ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने नई तबादला नीति के लिए निर्देश दिए, जिससे सचिवालय के कार्यों में सुधार हो सके। उत्तर प्रदेश सचिवालय में भी इसी तरह की नीति लागू की गई है, जिसे ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में भी इसी तर्ज पर कदम उठाए जा रहे हैं।

प्रभावित होने वाले अधिकारी

नई नीति के तहत, अब किसी भी विभाग में तीन से चार साल से अधिक समय तक कार्यरत अफसरों और कर्मचारियों के तबादले की प्रक्रिया तेज की जाएगी। महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अफसरों की जिम्मेदारी बदली जाएगी, जिससे नए अफसरों को भी महत्वपूर्ण विभागों में कार्य करने का मौका मिल सके।

संकल्पना और चुनौतियाँ

नई तबादला नीति का क्रियान्वयन जितना कठिन है, उतना ही आवश्यक भी है। यह नीति सचिवालय में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ अफसरों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हालाँकि, इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार को कड़ी मेहनत करनी होगी, ताकि भविष्य में कोई भी अफसर इस नीति का उल्लंघन न कर सके।

नई तबादला नीति सचिवालय में पारदर्शिता और निष्पक्षता स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जो आने वाले समय में उत्तराखंड के प्रशासनिक ढाँचे को मजबूत करेगी।

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