Rafale deal: India will get 26 maritime fighter jets, a big deal of Rs 63,000 crore amid tension with Pakistan : भारत ने अपने नौसैनिक बेड़े को और मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। फ्रांस के साथ भारत ने लगभग 63,000 करोड़ रुपये की लागत से 26 राफेल एम (Rafale-M) समुद्री लड़ाकू विमानों की खरीद का करार किया है। यह सौदा ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, और क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए भारत अपने रक्षा तंत्र को और सशक्त करना चाहता है।
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क्या है राफेल समुद्री लड़ाकू विमान?
राफेल एम यानी “मरीन” वर्जन विशेष रूप से नौसेना के लिए बनाया गया है। ये विमान विमानवाहक पोत (Aircraft Carrier) से उड़ान भर सकते हैं और उन पर लैंड भी कर सकते हैं। इनकी खासियत यह है कि इन्हें समुद्र में कठिन परिस्थितियों में भी ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है। राफेल एम मल्टीरोल फाइटर जेट हैं, यानी ये एयर-टू-एयर कॉम्बैट, एयर-टू-ग्राउंड अटैक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे विभिन्न अभियानों में माहिर हैं।
राफेल डील क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत के पास पहले से ही 36 राफेल विमान वायुसेना में सेवा में हैं, जो अपनी शानदार क्षमताओं के लिए मशहूर हैं। अब नौसेना के लिए अलग से 26 राफेल एम विमान खरीदे जा रहे हैं। इससे भारत की समुद्री शक्ति को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा, खासकर भारतीय विमानवाहक पोत INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर इन विमानों की तैनाती से। यह डील भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप कुछ स्वदेशी निर्माण और तकनीकी ट्रांसफर के प्रावधान भी रखती है।
डील का विवरण
भारत ने फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) और Safran जैसी कंपनियों के साथ इस सौदे को अंतिम रूप दिया है। इसमें 22 सिंगल सीटर फाइटर जेट्स और 4 डबल सीटर ट्रेनर वर्जन शामिल होंगे। ये सभी विमान उन्नत हथियार प्रणालियों और अत्याधुनिक सेंसर से लैस होंगे। इसके अलावा, स्पेयर पार्ट्स, रखरखाव सुविधाएं और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी सौदे का हिस्सा हैं।
पाकिस्तान से तनाव के बीच डील का महत्व
पिछले कुछ वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर और कूटनीतिक मोर्चों पर तनाव काफी बढ़ा है। पाकिस्तान ने भी चीन से JF-17 ब्लॉक III और अन्य अत्याधुनिक हथियार प्रणाली हासिल की हैं। ऐसे में भारत के लिए अपनी सैन्य तैयारियों को बेहतर बनाना आवश्यक हो गया था। राफेल एम विमानों के आने से भारतीय नौसेना को न केवल अपने समुद्री इलाकों की बेहतर रक्षा करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी बढ़ेगी।
INS विक्रांत के लिए गेम चेंजर
भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत हाल ही में नौसेना में शामिल किया गया है। लेकिन उसके लिए उपयुक्त फाइटर जेट्स की कमी महसूस की जा रही थी। राफेल एम विमानों के आने से INS विक्रांत को उसकी पूरी क्षमता के साथ ऑपरेशन में लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, INS विक्रमादित्य, जो पहले से नौसेना में सेवा दे रहा है, उसकी मारक क्षमता भी कई गुना बढ़ जाएगी।
तकनीकी विशेषताएं जो बनाती हैं राफेल एम को खास
- सटीकता और गति: राफेल एम सुपरसोनिक स्पीड (Mach 1.8) से उड़ान भर सकता है।
- बेहतर हथियार क्षमता: ये विमान MICA, SCALP, AM39 Exocet जैसे उन्नत हथियारों से लैस है।
- लंबी रेंज: एक बार ईंधन भरने के बाद लंबी दूरी तक ऑपरेशन कर सकता है।
- समुद्री परिस्थितियों में प्रदर्शन: राफेल एम खराब मौसम और समुद्री हालात में भी प्रभावी ऑपरेशन कर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम को जाम करने में भी माहिर है।
आर्थिक और सामरिक फायदे
हालांकि इस डील की कीमत काफी बड़ी है, लेकिन इसके बदले भारत को जो रणनीतिक बढ़त मिलेगी, वह अमूल्य है। राफेल एम विमानों के आने से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ी नौसैनिक शक्ति के रूप में उभरेगा। इससे व्यापारिक मार्गों की रक्षा, समुद्री सीमा पर सुरक्षा और विदेशी हस्तक्षेप का जवाब देने में भारत को जबरदस्त फायदा होगा।
फ्रांस-भारत रक्षा संबंधों में मजबूती
राफेल डील केवल एक व्यापारिक सौदा नहीं है, बल्कि भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। दोनों देशों ने हाल के वर्षों में रक्षा, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग बढ़ाया है। इस डील से फ्रांस के साथ भारत का भरोसा और भी मजबूत होगा और भविष्य में और भी रक्षा सौदों का रास्ता खुलेगा।
भविष्य की तैयारी
राफेल एम विमानों के साथ, भारत भविष्य में अत्याधुनिक ड्रोन, पनडुब्बी और अन्य हथियार प्रणालियों की खरीद और विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा दे रहा है, ताकि दीर्घकाल में विदेशी निर्भरता कम की जा सके।
निष्कर्ष:
भारत की फ्रांस से 26 राफेल एम लड़ाकू विमानों की खरीद न केवल उसकी सैन्य शक्ति को बढ़ाएगी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सामरिक बढ़त को भी सुनिश्चित करेगी। पाकिस्तान और चीन जैसी चुनौतियों के बीच यह सौदा भारत को समुद्र से आकाश तक एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। आने वाले वर्षों में जब ये विमान पूरी तरह से सेवा में आ जाएंगे, तो भारत की नौसेना को दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में गिना जाएगा।