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राजनीतिक संग्राम: ‘आतंकियों के प्रति सहानुभूति जताती है कांग्रेस’, नकवी का विपक्ष पर तीखा हमला

Congress shows sympathy towards terrorist : भारतीय राजनीति एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप के दौर में घिरी नजर आ रही है। इस बार बहस का केंद्र बना है आतंकवाद, उस पर सियासी दृष्टिकोण और विपक्ष की भूमिका। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एक बड़ा बयान देते हुए कांग्रेस और विपक्षी दलों पर आतंकवाद के प्रति नरम रुख अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखती है और जब देश के जवानों की हत्या होती है, तब विपक्ष शोक की मुद्रा में आ जाता है। उनका यह बयान राजनीतिक गलियारों में भूचाल की तरह आया है, जिसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।


🗣️ नकवी का बड़ा बयान – “कांग्रेस का आतंक पर रुख दोहरा”

मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने तीखे बयान में कहा:

“जब-जब देश ने आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने या तो उसका विरोध किया है या फिर आतंकियों के प्रति सहानुभूति जताई है। ये वही लोग हैं जो देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े दिखते हैं, और जवानों की शहादत पर खामोश रहते हैं।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष की राजनीति अब राष्ट्रहित से अधिक सत्ता की भूख से प्रेरित है, और इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं, भले ही वह राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता क्यों न हो।


📌 घटनाक्रम की पृष्ठभूमि

नकवी का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में देश के सीमावर्ती क्षेत्र में आतंकियों के हमले में सुरक्षाबलों के कुछ जवान शहीद हुए। इस घटना पर भाजपा जहां आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख की वकालत कर रही है, वहीं विपक्ष की प्रतिक्रिया को भाजपा ने ‘नर्म और ढुलमुल’ बताया है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्ष आतंकवाद को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है, और जब सरकार कड़े कदम उठाती है तो उसे मानवाधिकार के नाम पर घेरा जाता है।


⚖️ विपक्ष की भूमिका पर सवाल

नकवी ने आरोप लगाया कि विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी वोटबैंक की राजनीति करती है।

उन्होंने कहा:

“जब पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई, विपक्ष ने सवाल उठाए। जब बालाकोट में एयरस्ट्राइक हुई, तब सबूत मांगे गए। ये वही सोच है जो आतंकियों का मनोबल बढ़ाती है और देश के जवानों के बलिदान का अपमान करती है।”


🔍 भाजपा का रुख – ‘राष्ट्र सर्वोपरि’

भाजपा नेताओं का मानना है कि आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुटता जरूरी है। उनका कहना है कि जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा होता है, तब विपक्ष को भी राजनीतिक मतभेद भूलकर राष्ट्रीय एकता दिखानी चाहिए।

नकवी ने कहा:

“हम राजनीतिक लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की हो, तब सभी दलों को एक सुर में बोलना चाहिए। दुर्भाग्य से कुछ राजनीतिक दल आज भी आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।”


🧠 विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नकवी का यह बयान भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुख चुनावी एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है।

कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि चुनावी मौसम में ऐसे बयान आम हो जाते हैं, लेकिन इसका प्रभाव जनता की सोच और मतदान निर्णय पर गहरा असर डालता है।


📢 विपक्ष का पलटवार

नकवी के बयान के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:

“भाजपा हमेशा भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिकरण करती है। देश की सुरक्षा हमारी भी प्राथमिकता है, लेकिन सवाल उठाना हमारा अधिकार है। अगर किसी ऑपरेशन में खामियां हैं, तो उन्हें उजागर करना राष्ट्र विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती है।”

विपक्ष ने नकवी पर पलटवार करते हुए यह भी कहा कि भाजपा ‘राष्ट्रवाद’ की आड़ में विरोध की आवाज को दबाना चाहती है।


🔎 पहले भी उठे हैं ऐसे सवाल

यह पहली बार नहीं है जब भाजपा और विपक्ष के बीच आतंकवाद को लेकर जुबानी जंग हुई हो। इससे पहले भी पुलवामा हमले, उरी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय ऐसे राजनीतिक बयानबाज़ी देखी गई थी।

भाजपा ने हर बार यह दावा किया कि उसने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, जबकि विपक्ष ने या तो सबूत मांगे या कार्रवाई पर सवाल उठाए।


🔥 क्या है असली मुद्दा?

देश की सुरक्षा, जवानों की शहादत और आतंकवाद के खिलाफ नीति – ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जो किसी एक पार्टी से नहीं, पूरे राष्ट्र से जुड़े हैं। जब कोई भी राजनीतिक दल इन पर बयानबाज़ी करता है, तो उसकी मंशा पर सवाल उठते हैं।

नकवी का बयान विपक्ष की आलोचना से ज्यादा एक राजनीतिक संकेत भी है कि आने वाले दिनों में भाजपा राष्ट्रवाद को चुनावी मुद्दा बना सकती है।


✍️ निष्कर्ष

मुख्तार अब्बास नकवी का यह बयान एक बार फिर देश की राजनीति को राष्ट्रवाद बनाम विपक्ष के खांचे में बांटने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। आतंकवाद जैसे गंभीर विषय पर राजनीति कितनी उचित है, इस पर समाज में मतभेद हैं, लेकिन इतना जरूर है कि यह मुद्दा लंबे समय तक राजनीतिक बहस का केंद्र बना रहेगा।

जहां भाजपा इसे ‘देशभक्ति’ बनाम ‘विरोध की राजनीति’ के रूप में पेश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे ‘लोकतांत्रिक सवालों’ की अभिव्यक्ति बता रहा है।

एक लोकतांत्रिक समाज में सवाल पूछना और जवाब देना, दोनों जरूरी हैं — लेकिन यह तभी सार्थक होता है जब उसका मकसद राष्ट्रहित हो, न कि केवल राजनीतिक लाभ।

Ashish
Ashishhttps://www.aajkinews27.com
Ashish is a passionate news writer with 3 years of experience covering politics, business, entertainment, sports, and the latest news. He delivers accurate and engaging content, keeping readers informed about current events. With a keen eye for detail, Ashish ensures every story is well-researched and impactful. Stay updated with his insightful news coverage.
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