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MahaKumbh: ब्रांड एवं प्रमोशन पर कंपनियों ने खर्च किए पांच हजार करोड़, पिछले कुंभ के मुकाबले कीमत 4 गुना बढ़ी

महाकुंभ: ब्रांडिंग एवं प्रमोशन पर कंपनियों ने खर्च किए पांच हजार करोड़, पिछले कुंभ के मुकाबले कीमत चार गुना बढ़ी

MahaKumbh: Companies spent five thousand crores on brand and promotion, the price increased 4 times compared to the last Kumbh. : महाकुंभ, जिसे भारत में सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में जाना जाता है, में इस बार ब्रांडिंग और प्रमोशन पर खर्च किए गए पैसों की मात्रा ने सभी को चौंका दिया। इस बार कंपनियों ने महाकुंभ में अपने ब्रांड को प्रमोट करने के लिए लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो पिछले कुंभ के मुकाबले चार गुना अधिक है। यह आंकड़ा न केवल महाकुंभ के व्यावसायिक पहलू को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कंपनियों के लिए ब्रांडिंग के महत्व को अब धार्मिक आयोजनों तक में देखा जा सकता है।

महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, और इस कारण से यहां कंपनियां अपने उत्पादों और सेवाओं की ब्रांडिंग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर देखती हैं। कंपनियों ने इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए न केवल पारंपरिक विज्ञापन माध्यमों का उपयोग किया, बल्कि उन्होंने अपने ब्रांड को धार्मिक आयोजन से जोड़ने के लिए अनूठे और आक्रामक प्रचार की रणनीतियों को अपनाया। इसके लिए उन्होंने अपने ब्रांड को प्रचारित करने के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाओं और स्थानों का चुनाव किया, जिनमें नावें, यूनिपोल, होर्डिंग्स, बैरिकेड्स, पुलिस बूथ, और अन्य स्थान शामिल थे।

कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी और प्रतिस्पर्धा के कारण ब्रांडिंग की कीमतें चार गुना बढ़ गईं। एक पुलिस चौकी पर विज्ञापन के लिए डेढ़ लाख रुपये तक खर्च किए गए। यहां तक कि विभिन्न स्थानों पर लगाए गए होर्डिंग्स, यूनिपोल, और टेंट्स के लिए भी कंपनियों को काफी पैसा खर्च करना पड़ा। पिछले कुंभ में जिन होर्डिंग्स के लिए 40-50 हजार रुपये दिए गए थे, इस बार उनके लिए 1.5 लाख से लेकर 3 लाख रुपये तक खर्च करने पड़े। इस महंगे प्रचार ने यह साबित कर दिया कि महाकुंभ अब केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ा मंच बन चुका है।

कंपनियों ने ब्रांडिंग के लिए विशेष रूप से नावों, यूनिपोल्स, होर्डिंग्स, वॉच टावर्स, बैरिकेड्स और पुलिस बूथ का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, यात्री विश्राम स्थल, पार्किंग एरिया और घाटों पर भी विज्ञापन लगाए गए। इन स्थानों पर ब्रांडिंग के लिए कंपनियों को एक-एक स्थान पर लाखों रुपये खर्च करने पड़े। इस दौरान, श्रद्धालुओं के लिए विशेष सेवाएं जैसे चेजिंग रूम, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट्स, और गुब्बारों का भी इस्तेमाल किया गया। उदाहरण के लिए, 50 चेजिंग रूम के लिए कंपनियों ने पांच लाख रुपये खर्च किए, वहीं 180 मोबाइल फोन चार्जिंग प्वाइंट्स के लिए 3.5 लाख रुपये का खर्च आया। साथ ही, हवा में उड़ने वाले गुब्बारों के लिए 7.5 लाख रुपये खर्च किए गए। इन सभी खर्चों का उद्देश्य था, महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के बीच अपने ब्रांड की अधिक से अधिक पहुंच बनाना।

इस बार के महाकुंभ में ब्रांडिंग का काम संभालने वाली एक हैदराबाद की एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि ब्रांड प्रमोशन पर लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। कंपनियों के बीच प्राइम लोकेशन के लिए प्रतिस्पर्धा इतनी तीव्र थी कि कीमतें आसमान तक पहुंच गईं। कई कंपनियों ने इस बार ब्रांड प्रमोशन के लिए अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) फंड का भी इस्तेमाल किया। इससे यह साबित होता है कि महाकुंभ अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़ा बिजनेस प्लेटफॉर्म बन चुका है।

इन कंपनियों में प्रमुख नाम शामिल थे, जैसे आईटीसी, कोका कोला, पेप्सिको, अदाणी समूह, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर, बिसलेरी, इमामी, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, और स्पाइसजेट। इन कंपनियों ने महाकुंभ में अपने ब्रांड्स को प्रमोट करने के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा लिया। इसके अलावा, कई कंपनियों ने सीएसआर गतिविधियों के तहत श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त सेवाएं भी प्रदान कीं। अदाणी समूह ने इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट सेवा प्रदान की, जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं को निशुल्क सवारी की सुविधा मिली। इसके अलावा, उन्होंने भंडारे का आयोजन किया और धार्मिक पुस्तिकाओं का वितरण भी किया। रिलायंस इंडस्ट्री ने भी इस आयोजन में सहयोगी संगठन के माध्यम से विशाल भंडारे का आयोजन किया, जिससे उन्होंने श्रद्धालुओं तक अपनी पहुंच बनाई।

महाकुंभ के दौरान कंपनियों द्वारा खर्च किए गए पैसों के अलावा, इनके द्वारा किए गए प्रचार के तरीके भी बहुत दिलचस्प थे। एक ओर जहां उन्होंने पारंपरिक विज्ञापन और प्रचार माध्यमों का इस्तेमाल किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने भंडारे, सवारी सेवाएं, और धार्मिक किताबों का वितरण जैसे कार्यों के माध्यम से अपनी छवि को एक सकारात्मक और समाज सेवा से जुड़ी हुई रूप में प्रस्तुत किया। इन गतिविधियों ने कंपनियों को केवल एक व्यापारिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व निभाने वाली कंपनी के रूप में भी स्थापित किया।

कुल मिलाकर, महाकुंभ ने यह सिद्ध कर दिया कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से ब्रांड प्रमोशन एक प्रभावशाली और लाभकारी माध्यम बन चुका है। कंपनियों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और यहां अपनी ब्रांडिंग के लिए अरबों रुपये खर्च किए। यह न केवल उनके व्यवसायिक दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत में धार्मिक आयोजन अब सिर्फ धार्मिकता के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।

Ashish
Ashishhttps://www.aajkinews27.com
Ashish is a passionate news writer with 3 years of experience covering politics, business, entertainment, sports, and the latest news. He delivers accurate and engaging content, keeping readers informed about current events. With a keen eye for detail, Ashish ensures every story is well-researched and impactful. Stay updated with his insightful news coverage.
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