महाकुंभ यात्रा से लौटने की बजाय आई मौत की खबर
Aligarh: Tragic accident of Vishal-Dimple who had set out to bring Ganga water from Mahakumbh, wave of mourning in the family. : अलीगढ़ के बाबा कॉलोनी के विशाल और विकास नगर के डिंपल महाकुंभ में गंगास्नान करने और गंगाजल लेकर आने के लिए घर से निकले थे। दोनों ने परिवार से वादा किया था कि वे पवित्र गंगाजल लेकर लौटेंगे, लेकिन उनके लौटने की खबर के बजाय उनकी मौत की दुखद सूचना आई। यह खबर सुनते ही दोनों परिवारों में कोहराम मच गया।
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आखिरी बातचीत और दुर्घटना की खबर
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विशाल और डिंपल 18 फरवरी की शाम को अपने परिजनों से आखिरी बार फोन पर बात कर रहे थे। उन्होंने बताया था कि वे कानपुर पार कर रहे हैं और जल्द ही आगे की यात्रा जारी रखेंगे। लेकिन कुछ ही घंटों बाद एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने दोनों की जिंदगी छीन ली। 19 फरवरी को जब उनके शव अलीगढ़ लाए गए, तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
परिवार का दर्द: लौटे नहीं, बस यादें छोड़ गए
विशाल, जो कि बाबा कॉलोनी के एक गरीब मजदूर परिवार से ताल्लुक रखते थे, दो भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके पिता राजू ने बताया कि 17 फरवरी की सुबह आठ बजे विशाल ने कुंभ जाने की इच्छा जाहिर की थी। परिवार ने उन्हें भारी भीड़ और खतरे को देखते हुए मना किया था, लेकिन वे नहीं माने। जाते वक्त उन्होंने कहा था कि वे गंगाजल जरूर लेकर आएंगे। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था।
18 फरवरी की रात जब परिवार को दुर्घटना की खबर मिली, तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब शव घर पहुंचा, तो पत्नी, माता-पिता और परिवार की अन्य महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पिता बताते हैं कि शाम करीब साढ़े छह बजे विशाल से आखिरी बार बात हुई थी और उसने बताया था कि वे रास्ते में हैं। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी।
डिंपल का सपना अधूरा रह गया
डिंपल, जो कि विकास नगर के रहने वाले थे, अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनकी तीन छोटी बहनें हैं। पिता मजदूरी करते थे और डिंपल खुद बीएससी के छात्र थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन डिंपल अपनी पढ़ाई के जरिए परिवार को बेहतर भविष्य देने का सपना देख रहे थे।
परिजनों ने डिंपल को भी महाकुंभ जाने से मना किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे गंगाजल लेकर लौटेंगे। 18 फरवरी की शाम को उनकी आखिरी बातचीत उनके चाचा से हुई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि वे कानपुर पार कर रहे हैं। लेकिन उसके कुछ ही घंटे बाद दुर्घटना की खबर आई, जिसने पूरे परिवार को गहरे शोक में डाल दिया।
महाकुंभ यात्रा बनी काल, सड़क दुर्घटना में गई जान
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हर 12 साल में लगने वाला प्रयागराज का महाकुंभ दुनिया भर के लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। लोग गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पवित्र जल अपने घरों तक लाते हैं। लेकिन इस बार यह यात्रा विशाल और डिंपल के लिए उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई। सड़क दुर्घटना में उनकी दर्दनाक मौत ने उनके परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया।
शव यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, नम आंखों से दी गई विदाई
जब 19 फरवरी को दोनों के शव अलीगढ़ लाए गए, तो पूरा इलाका गमगीन हो गया। रिश्तेदार, दोस्त और स्थानीय लोग उनके घर पहुंचे और परिवार को सांत्वना देने की कोशिश की। अंतिम संस्कार के दौरान हर किसी की आंखें नम थीं। पूरे क्षेत्र में इस घटना की चर्चा थी और लोग अपने प्रियजनों को इस तरह खोने के गम को बयां कर रहे थे।
सुरक्षा मानकों पर सवाल: क्या दुर्घटनाओं को टाला जा सकता था?
हर साल कुंभ मेले में जाने वाले हजारों श्रद्धालु सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं। भारी भीड़ और यातायात व्यवस्था की कमी के कारण कई बार दुर्घटनाएं हो जाती हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि कैसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। परिवारों का कहना है कि अगर यात्रा के दौरान अधिक सुरक्षा उपाय होते, तो शायद विशाल और डिंपल की जान बचाई जा सकती थी।
निष्कर्ष: यादें रह गईं, परिजन गम में डूबे
विशाल और डिंपल अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके परिवार के लिए उनकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी। दोनों युवकों की असमय मृत्यु ने पूरे अलीगढ़ में शोक की लहर दौड़ा दी। इस दुखद घटना से हमें सीख लेनी चाहिए कि यात्रा के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए, ताकि ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना न केवल दो परिवारों की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि हमें अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए।