Ban on WhatsApp and Google Play lifted in Iran, restrictions were imposed after anti-government protests : ईरान में सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद एक बड़ा बदलाव आया है। ईरानी अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि व्हाट्सएप और गूगल प्ले पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया गया है। यह कदम ईरान में इंटरनेट पर लगाए गए कड़े नियंत्रणों को कम करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा रहा है। इस कदम के साथ ही ईरान ने डिजिटल दुनिया में एक नई शुरुआत की ओर कदम बढ़ाया है, जो पहले के कठोर प्रतिबंधों की तुलना में अधिक लचीला प्रतीत होता है।
व्हाट्सएप और गूगल प्ले पर प्रतिबंध हटाना: एक महत्वपूर्ण निर्णय

ईरान के राज्य मीडिया द्वारा मंगलवार को जारी की गई खबर के अनुसार, व्हाट्सएप और गूगल प्ले पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के लिए सरकारी अधिकारियों ने सकारात्मक वोट दिया। यह निर्णय राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियन की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद लिया गया। ईरान के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्री सत्तार हाशमी ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि यह इंटरनेट पर लगे प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हाशमी ने आगे बताया, “आज हमने इंटरनेट प्रतिबंधों को हटाने की दिशा में पहला कदम उठाया है।”
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गौरतलब है कि ईरान में इंटरनेट का उपयोग बेहद नियंत्रित और प्रतिबंधित रहा है। विशेष रूप से, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन की नीति लंबे समय से चली आ रही है। हालाँकि, अमेरिकी कंपनियों द्वारा संचालित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर लागू प्रतिबंधों के बावजूद, तकनीकी रूप से कुशल ईरानी यूजर्स इन प्रतिबंधों को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का उपयोग करके दरकिनार कर देते हैं। VPN की मदद से वे इन प्लेटफॉर्म्स तक पहुँचने में सक्षम होते हैं, हालांकि यह कार्य कानूनी रूप से अवैध माना जाता है और इसके लिए ईरानी सरकार द्वारा कार्रवाई भी की जाती है।
स्मार्टफोन ऐप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध

व्हाट्सएप और गूगल प्ले पर लगाए गए प्रतिबंधों का असर सीधे ईरान के नागरिकों पर पड़ा था। व्हाट्सएप, जो एक प्रमुख इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है, लाखों ईरानी उपयोगकर्ताओं के लिए आवश्यक संचार साधन रहा है। गूगल प्ले, जो एंड्रॉइड स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए एक प्रमुख ऐप स्टोर है, भी कई तरह के ऐप्स के डाउनलोड के लिए महत्वपूर्ण रहा है। इन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंधों से ईरानी नागरिकों को न केवल अपने दोस्तों और परिवार से संपर्क करने में कठिनाई हुई, बल्कि कई उपयोगी ऐप्स तक भी उनकी पहुँच सीमित हो गई थी।
ईरानी सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध इसलिए लगाए थे क्योंकि ये प्लेटफॉर्म्स सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए गए थे। सितंबर 2022 में ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों ने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया था। इन प्रदर्शनों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए विश्वभर में फैलाया गया था, जिससे सरकार को लगा कि इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल उनके नियंत्रण को चुनौती देने के लिए किया जा रहा है।

ईरान में इंटरनेट कनेक्शन पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार ने कई तकनीकी उपायों का सहारा लिया, जिनमें प्रमुख रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अन्य विदेशी वेबसाइट्स पर प्रतिबंध शामिल थे। इसके अलावा, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि इन प्लेटफॉर्म्स तक पहुँचने के लिए ईरानी नागरिकों को VPN का इस्तेमाल करना पड़े, जिससे इंटरनेट पर स्वतंत्रता की भावना कम हो गई और नागरिकों को डिजिटल दुनिया में स्वतंत्रता की भावना नहीं मिल पाई।
डिजिटल सेंसरशिप और ईरान का नियंत्रण

ईरान सरकार की इंटरनेट सेंसरशिप दुनिया में सबसे सख्त मानी जाती है। देश में सोशल मीडिया और इंटरनेट उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, और कई पश्चिमी वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इन प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान के कुछ तकनीकी रूप से कुशल उपयोगकर्ता VPN या अन्य उपकरणों के माध्यम से इन वेबसाइट्स और प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करते हैं। ऐसे उपयोगकर्ताओं के लिए, यह एक संघर्ष बन जाता है, क्योंकि सरकार समय-समय पर VPN के इस्तेमाल को अवैध घोषित कर देती है और उन पर कार्रवाई भी करती है।
हालाँकि, इस नीति ने उन नागरिकों को परेशान किया जो केवल सूचनाओं तक पहुँचने, बातचीत करने और दुनिया से जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहते थे। उदाहरण के तौर पर, व्हाट्सएप और गूगल प्ले जैसे ऐप्स पर प्रतिबंध ने उन ईरानी नागरिकों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थीं, जो दिन-प्रतिदिन के कामों के लिए इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करते थे।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव और अमेरिकी तकनीकी कंपनियों का समर्थन
सितंबर 2022 में ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़ी तकनीकी कंपनियों से आग्रह किया था कि वे उन देशों में सेंसरशिप से बचने में मदद करें, जहां इंटरनेट पर भारी प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन देशों में ईरान सबसे प्रमुख था। अमेरिका की यह पहल ईरानी नागरिकों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में थी, और यह उस समय की एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया थी, जब ईरानी सरकार ने इंटरनेट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की थी।
विरोध प्रदर्शनों में सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान था, जिससे सरकार के खिलाफ आक्रोश और विरोध को वैश्विक स्तर पर फैलाया गया। इसके कारण ईरान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी बढ़ा, और सरकार को कुछ प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाने की आवश्यकता महसूस हुई।
निष्कर्ष: डिजिटल स्वतंत्रता की ओर एक कदम
ईरान में व्हाट्सएप और गूगल प्ले पर प्रतिबंध हटाना सरकार के डिजिटल नियंत्रण में एक नरम दृष्टिकोण की ओर पहला कदम है। यह कदम ईरान के नागरिकों को अपनी डिजिटल स्वतंत्रता की ओर एक नया अवसर प्रदान करता है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि क्या इस बदलाव के बाद अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और वेबसाइट्स पर भी प्रतिबंध हटाए जाएंगे। सरकार का यह कदम, विरोध प्रदर्शनों के बाद डिजिटल स्वतंत्रता की दिशा में उठाए गए पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन यह भी साफ है कि ईरान में इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी और नियंत्रण अभी भी जारी रहेगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ईरानी सरकार आने वाले समय में और भी प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लेती है, या क्या यह एक अस्थायी बदलाव साबित होगा। ईरानी नागरिकों के लिए यह एक बड़ा सकारात्मक संकेत है, लेकिन उनका डिजिटल अधिकार पूरी तरह से बहाल होने में समय लग सकता है।
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