Sanju Samson and Suryakumar Yadav

संजू सैमसन और सूर्यकुमार यादव की रोचक बातचीत: ’90 रन बनाने के बाद रिस्क क्यों लेना?’

सैमसन का बेहतरीन जवाब और आक्रामक खेलने का रुख

Interesting conversation between Sanju Samson and Suryakumar Yadav: ‘Why take risk after scoring 90 runs?’ : भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे लम्हें होते हैं जो हमेशा यादगार बन जाते हैं। ऐसा ही एक शानदार पल तब देखने को मिला जब विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे और अंतिम टी20 मैच में अपने करियर का पहला टी20 शतक लगाया। इस शतक ने न केवल भारतीय टीम को बड़ी बढ़त दिलाई, बल्कि यह मैच उनके और कप्तान सूर्यकुमार यादव के बीच एक मजेदार और प्रेरणादायक बातचीत का भी गवाह बना।

सैमसन का पहला शतक और भारत का रिकॉर्ड स्कोर

शनिवार को खेले गए इस मुकाबले में सैमसन ने 47 गेंदों पर 111 रन की तूफानी पारी खेली, जिससे भारत ने 297/6 का विशाल स्कोर खड़ा किया। यह टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत का सबसे बड़ा स्कोर साबित हुआ। पूरी पारी के दौरान सैमसन ने अपने स्ट्राइक रेट को कभी कम नहीं किया और लगातार रिस्क लेकर बड़े शॉट्स लगाते रहे। उन्होंने खेल के आक्रामक रुख को बनाए रखा और शतक पूरा करने के बाद भी अपनी बल्लेबाजी में कोई रुकावट नहीं आने दी।

कप्तान सूर्यकुमार का सवाल: ’90 रन पर रिस्क क्यों?’

मैच के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें सैमसन और भारतीय टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव के बीच एक दिलचस्प बातचीत होती दिखी। बातचीत में सूर्यकुमार ने सैमसन से पूछा कि उन्होंने 90+ रन बनाने के बाद भी रिस्क क्यों लिया, जब वे आसानी से शतक पूरा कर सकते थे। सूर्यकुमार ने सवाल किया, “जब आप 96 या 97 पर थे, तब भी आप बड़े शॉट्स की कोशिश कर रहे थे। उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था?”

सैमसन का जवाब: ‘टीम का माहौल और आक्रामकता’

सैमसन ने इस सवाल का बेहतरीन जवाब दिया और बताया कि टीम में जो माहौल उन्होंने इन हफ्तों में बनाया है, वह उन्हें आक्रामक खेल दिखाने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, “टीम से हमें यह स्पष्ट संदेश मिला है कि मैदान में जाओ और आक्रामक खेल दिखाओ। ये दो शब्द—’आक्रामक खेलो’—हमें कप्तान और कोच बार-बार याद दिलाते रहते हैं। यह मेरे स्वभाव के अनुरूप है, इसलिए मैंने शॉट्स लगाना जारी रखा।”

शतक का इंतजार और सैमसन का आत्मविश्वास

सैमसन ने यह भी स्वीकार किया कि उनका शतक लंबे समय से प्रतीक्षित था, और इस दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्हें खुद पर हमेशा भरोसा था। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ अपना काम करता रहा, खुद पर विश्वास करता रहा, और मैं खुश हूं कि शतक का जश्न मनाने के लिए आप (सूर्यकुमार) मेरे साथ थे।” इस पर सूर्यकुमार ने जवाब दिया, “मैंने दूसरे छोर से इसका लुत्फ उठाया। यह मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ शतकों में से एक था।”

सैमसन की निडरता और टीम की स्पष्टता

सैमसन ने यह भी खुलासा किया कि जब वे 96 रन पर थे, तब सूर्यकुमार ने उन्हें आराम से खेलने की सलाह दी थी ताकि वे शतक लगा सकें। लेकिन सैमसन ने आक्रामक खेलने का अपना तरीका जारी रखा। उन्होंने कहा, “जब मैं 96 रन पर था, तब मैंने सूर्यकुमार से कहा कि मैं बड़ा शॉट खेलूंगा, लेकिन उन्होंने मुझे आराम से खेलने के लिए कहा क्योंकि वे चाहते थे कि मैं शतक बनाऊं। हालांकि, जिस तरह से मुझे कप्तान और गौतम भाई (कोच) से स्पष्टता और समर्थन मिला है, उससे मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने मुझे कहा कि आक्रामक खेलो और विनम्र रहो, और यह मेरे स्वभाव के अनुरूप है।”

सैमसन का खेलने का तरीका और टीम का समर्थन

सैमसन ने यह भी बताया कि टीम में आक्रामकता और स्पष्टता की संस्कृति ने उन्हें प्रेरित किया। यह संदेश न केवल कप्तान से, बल्कि कोच से भी बार-बार मिलता रहा है। इस संस्कृति का प्रभाव सैमसन की बल्लेबाजी में साफ दिखाई देता है, जहां उन्होंने शतक के करीब होते हुए भी निडर होकर बड़े शॉट्स लगाने से परहेज नहीं किया।

टीम की आक्रामकता और सामूहिकता का महत्व

यह बातचीत यह भी दर्शाती है कि भारतीय टीम में एक नई आक्रामकता और आत्मविश्वास की लहर बह रही है, जिसका नेतृत्व सूर्यकुमार और सैमसन जैसे खिलाड़ी कर रहे हैं। यह न केवल खेल के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल रहा है, बल्कि टीम के अन्य खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। आक्रामकता के साथ विनम्रता का मेल भारतीय टीम की नई पहचान बनता जा रहा है, और यह आगे भी उन्हें सफलता की ओर ले जाएगा।

नतीजा: एक नए युग की शुरुआत

सैमसन और सूर्यकुमार के बीच की यह बातचीत भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। यह युग आक्रामकता, आत्मविश्वास और निडरता का है, जहां खिलाड़ी अपने खेल के प्रति स्पष्ट और दृढ़ होते हैं। सैमसन का शतक और उसके बाद की उनकी सोच भारतीय क्रिकेट की नई दिशा को दर्शाती है। इस नए दौर में भारतीय टीम न केवल रिकॉर्ड तोड़ने का माद्दा रखती है, बल्कि आत्मविश्वास और टीम वर्क की भावना से आगे बढ़ने को तैयार है।

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