महबूबा मुफ्ती - फोटो : अर्शिद मीर

J&K Election: जम्मू-कश्मीर में महिला विधायक की संख्या में कमी, 1972 से अब तक केवल दस महिलाएं जीतीं चुनाव 

J&K Election: Decrease in the number of women MLAs in Jammu and Kashmir, since 1972 till now only ten women have won the elections. : जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की स्थिति हमेशा से चिंताजनक रही है। 1962 से लेकर 2014 तक हुए विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी न केवल सीमित रही है, बल्कि इन चुनावों में जीत हासिल करने वाली महिला विधायकों की संख्या भी काफी कम है। 1972 से अब तक जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में सिर्फ दस महिलाएं ही विधायक बन पाई हैं, जो महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की कमी को दर्शाता है।

महिलाओं के लिए टिकट आवंटन में कमी

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं को चुनावी टिकट देने में हमेशा से कंजूसी बरती गई है। यह एक बड़ी वजह है कि यहां महिलाओं की चुनावी भागीदारी बहुत कम रही है। 1962 से 2014 तक के बीच हुए विधानसभा चुनावों में केवल 172 महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिनमें से अधिकांश निर्दलीय उम्मीदवार थीं। यह संख्या खुद ही इस बात का सबूत है कि महिलाओं को राजनीति में आने का अवसर कितना कम मिला है।

चुनावों में महिलाओं की स्थिति

इन 172 महिलाओं में से 142 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जो यह दर्शाता है कि अधिकांश महिला उम्मीदवारों को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। यह स्थिति महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी को और गहराई से उजागर करती है। 2008 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 67 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, लेकिन इनमें से 56 की जमानत जब्त हो गई और सिर्फ एक महिला ही चुनाव जीत पाई। यह परिणाम महिलाओं के लिए राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने की चुनौतियों को स्पष्ट करता है।

महिला विधायकों की संख्या में गिरावट

1972 के विधानसभा चुनावों में चार महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा में पहुंची थीं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। उस समय जबिना बेगम (अमीरकदल), हाजरा बेगम (बनिहाल), निर्मला देवी (टिकरी), और शांता भारती (जिंद्रा घरोटा) ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। लेकिन इसके बाद के दशकों में महिलाओं की संख्या में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।

महबूबा मुफ्ती, जो जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रही हैं, विधानसभा में दो बार जीत हासिल करने वाली एकमात्र महिला हैं। उन्होंने 1996 में कांग्रेस के टिकट पर बिजबिहड़ा से और 2002 में पीडीपी के टिकट पर पहलगाम से चुनाव जीता था। अन्य महिला विधायकों में से अधिकांश ने कांग्रेस और नेकां (नेशनल कॉन्फ्रेंस) के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं की चुनावी भागीदारी में निरंतर कमी बनी रही है।

महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की स्थिति

जम्मू-कश्मीर में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व दशकों से एक गंभीर समस्या बनी हुई है। महिलाओं को न केवल चुनावी टिकट देने में बल्कि उन्हें समाज में एक प्रभावशाली भूमिका निभाने के अवसर प्रदान करने में भी बड़ी कमी रही है। चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक दलों को अधिक समावेशी नीतियों को अपनाने की जरूरत है।

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में सुधार के लिए न केवल राजनीतिक दलों को, बल्कि समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा। महिलाएं समाज का आधा हिस्सा हैं, और उनकी भागीदारी के बिना किसी भी लोकतंत्र का संपूर्ण विकास संभव नहीं है।

भविष्य की दिशा

आने वाले समय में, जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए राजनीतिक दलों को महिला उम्मीदवारों को प्राथमिकता देनी होगी और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए यह जरूरी है कि उन्हें राजनीति में अधिक से अधिक अवसर प्रदान किए जाएं, ताकि वे अपने समाज और देश की सेवा कर सकें।

इस दिशा में जागरूकता अभियान, महिला संगठनों का सशक्तिकरण, और समाज के सभी वर्गों में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करने के प्रयास किए जाने चाहिए। जब महिलाएं राजनीति में प्रभावशाली भूमिकाएं निभाने लगेंगी, तभी उनके प्रतिनिधित्व में वास्तविक सुधार होगा और समाज में एक समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

निष्कर्ष

जम्मू-कश्मीर में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व एक चिंताजनक स्थिति में है। 1972 के बाद से सिर्फ दस महिलाएं ही विधायक बन पाई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि महिलाओं को राजनीति में अपने अधिकारों और भूमिका के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। भविष्य में, महिलाओं को अधिक से अधिक अवसर प्रदान करके और उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करके ही इस असंतुलन को ठीक किया जा सकता है। समाज के हर हिस्से को महिलाओं के सशक्तिकरण में अपनी भूमिका निभानी होगी, ताकि आने वाले समय में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व एक नई ऊंचाई पर पहुंच सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *