शिक्षक दिवस 2024 पर प्रेरणादायक भाषण: तालियों की गूंज से गूंजेगा हॉल
Inspirational speech on Teacher’s Day 2024: The hall will echo with applause :
आदरणीय प्रधानाचार्य, सम्मानित शिक्षकगण, और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम सब यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन, 5 सितंबर, हर वर्ष हमें हमारे शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है। इस दिन को हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाते हैं, जो न केवल एक महान शिक्षक थे, बल्कि स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उप-राष्ट्रपति भी थे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: एक महान शिक्षक और दार्शनिक
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को एक गरीब तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा के प्रति असीम लगन और समर्पण के साथ अपने जीवन की शुरुआत की। उनकी शिक्षा छात्रवृत्तियों के माध्यम से पूरी हुई, जो इस बात का प्रमाण है कि उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान की भूख कितनी गहरी थी। उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और अपने विचारों से शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मार्ग प्रशस्त किया।
1917 में उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर’ प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति के रूप में कार्य किया। इन पदों पर रहते हुए, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार किए और अपने छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित किया।
शिक्षक दिवस का महत्व और उत्पत्ति
अब सवाल उठता है कि 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? जब 1962 में डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ पूर्व छात्रों ने उनके जन्मदिन को विशेष रूप से मनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी विनम्रता से इस प्रस्ताव को एक नई दिशा दी। उन्होंने अपने छात्रों से आग्रह किया कि वे उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं, ताकि समाज में शिक्षकों के योगदान को मान्यता दी जा सके।
शिक्षक, समाज के निर्माता होते हैं। वे अपने ज्ञान और अनुभव के माध्यम से छात्रों के जीवन को संवारते हैं और उन्हें सही दिशा में अग्रसर करते हैं। डॉ. राधाकृष्णन का जीवन इस बात का साक्षी है कि एक शिक्षक का योगदान कितना महत्वपूर्ण होता है। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं।
शिक्षकों का योगदान: एक अनमोल धरोहर
डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, शिक्षक समाज के पथप्रदर्शक होते हैं। वे हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझाते हैं और हमारे जीवन के हर पहलू को संवारने में मदद करते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू,
जो उनके करीबी मित्र और सहयोगी थे, ने भी डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि डॉ. राधाकृष्णन ने विभिन्न क्षमताओं में देश की सेवा की है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उन्होंने एक शिक्षक के रूप में निभाई है। उनकी शिक्षा, उनके विचार और उनका दृष्टिकोण हमारे समाज को एक बेहतर दिशा में ले जाने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
शिक्षक दिवस का महत्व और भविष्य की दिशा
आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, उसमें शिक्षा का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। डिजिटल युग में, जहां सूचनाओं की कोई कमी नहीं है, वहां शिक्षकों का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। वे न केवल ज्ञान के स्रोत हैं, बल्कि वे हमें सही दिशा में सोचने और निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करते हैं। शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षकों का हमारे जीवन में क्या स्थान है और हमें उनके प्रति कितनी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करना चाहिए।
शिक्षक दिवस: हमारे शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता का दिन
आज के इस विशेष अवसर पर, मैं अपने सभी शिक्षकों का दिल से धन्यवाद करता हूं। वे हमारे जीवन में प्रेरणा के स्रोत हैं और हमें हर दिन कुछ नया सीखने और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि हम सब मिलकर अपने शिक्षकों का सम्मान करें, उनके मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद दें, और यह संकल्प लें कि हम उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।
समापन: एक नई शुरुआत की प्रेरणा
अंत में, मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मुझे इस विशेष अवसर पर अपने विचार साझा करने का अवसर दिया। शिक्षक दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी के जीवन में शिक्षक कितने महत्वपूर्ण होते हैं। हमें उनके योगदान को न केवल आज, बल्कि हर दिन सम्मानित करना चाहिए।
धन्यवाद!
(यह भाषण निश्चित रूप से तालियों की गूंज से हॉल को भर देगा और आपके स्कूल या कॉलेज में शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रस्तुत किया जा सकता है।)