नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज अधिकारियों पर कसी नकेल, अवमानना नोटिस जारी
नैनीताल हाईकोर्ट ने चंपावत जिले के जिला पंचायत अपर मुख्य अधिकारी भगवत पाटनी के स्थानांतरण मामले में आदेश का पालन न करने पर सख्त कदम उठाते हुए अपर सचिव पंचायती राज आलोक कुमार पांडे और जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपना जवाब दाखिल करें और मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को निर्धारित की गई है।
स्थानांतरण आदेश और उसके खिलाफ अवमानना याचिका
भगवत पाटनी ने अपने स्थानांतरण के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उन्हें पहली जुलाई को उत्तरकाशी के अपर जिला पंचायत अधिकारी पद पर स्थानांतरित किया गया था, लेकिन उन्होंने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके जवाब में सरकार ने अगले ही दिन अपना स्थानांतरण आदेश वापस ले लिया था।
पुनः स्थानांतरण आदेश और हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
हालांकि, 24 जुलाई को सरकार ने फिर से भगवत पाटनी का स्थानांतरण आदेश जारी कर उन्हें चमोली भेज दिया। इसके बाद पाटनी ने पुनः हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां कोर्ट ने उनके स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
अवमानना नोटिस का आदेश
कोर्ट के आदेश के बावजूद, भगवत पाटनी को उनकी नई पदस्थापना का चार्ज नहीं सौंपा गया। इसके चलते हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर सचिव पंचायती राज आलोक कुमार पांडे और जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय को नोटिस जारी कर उनके जवाब की मांग की है।
आगे की प्रक्रिया और न्यायिक दृष्टिकोण
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर के लिए नियत की है, जहां दोनों अधिकारियों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अदालत के आदेशों की अवहेलना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
नैनीताल हाईकोर्ट का यह कदम दर्शाता है कि कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए अदालतें सख्त हैं और किसी भी प्रकार की अवमानना को गंभीरता से लेती हैं। इस मामले में कोर्ट का निर्णय आने वाले समय में सरकारी अधिकारियों के लिए एक उदाहरण साबित हो सकता है।